धर्म पुजा पाठ

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rashi kya hai ? | राशि क्या है?

 राशियों की संपूर्ण जानकारी

ज्योतिष राशि भविष्य के सभी दर्शकों को जय श्री कृष्णा मित्रों लिए जानते हैं राशि किसे कहते है और राशियों के बारे में संपूर्ण जानकारी ।

rashi kya hai ? | राशि क्या है?

जैसा कि आप सभी जानते हैं पृथ्वी चंद्रमा बुध बृहस्पति आदि सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हैं जिस वृताकार दूरी पर यह सभी ग्रह परिक्रमा करते हैं उसे 12 भागों में बांटा गया है और उनको पहचान के लिए तारों के समूह से बनने वाली आकृति के द्वारा उनका नाम निर्धारित किया गया है।

वृताकार गोला को ( 360°) को 12 से विभाजित करने पर 30 अंश एक राशि का मांन बनता है तथा तारों के समूह से बनने वाली आकृति को एक नाम दिया गया है और उनका नंबर निर्धारित किया गया है जो इस प्रकार है -

१ मेष 

२ वृषभ

३ मिथुन

४ कर्क 

५ सिंह

६ कन्या

७ तुला

८ वृश्चिक 

९  धनु

१० मकर

११ कुम्भ

१२ मीन 


आईए जानते हैं राशियों के अंग्रेजी नाम

राशियों के अंग्रेजी नाम

मेष Arise – एरीस

वृषभ Taurus – टोरस

मिथुन Gemini – जैमिनी

कर्क Cancer – कैंसर

सिंह Leo- लिओ

कन्या Virgo वर्गो

तुला Libra – लिब्रा

वृश्चिक Scorpio – स्कोर्पियो

धनु Sagittarius- सजिटेरियस

मकर Capricornus- कैप्रिकॉर्न

कुंभ Aquarius – एक्वेरियस

मीन Pisces – पाइसेज

इन राशियों को तत्व के अनुसार चार विभागों में बांटा गया है आईए जानते हैं राशियों के तत्व

अग्नि तत्व 

मेष, सिंह, धनु

पृथ्वी तत्व 

वृषभ, कन्या, मकर

वायु तत्व 

मिथुन तुला कुंभ

जल तत्व

कर्क, वृश्चिक, मीन

इसी आधार पर राशियों की मित्रता भी निर्धारित की गई है अग्नि तत्व वाली राशियों की मित्रता वायु तत्व वाली राशियों से होती है तथा पृथ्वी तत्व वाली राशियों की

 मित्रता जल तत्व वाली राशियों से होती है अर्थात मेष सिंह धुन मिथुन तुला कुंभ ये राशि आपस में मित्र हैं दूसरी तरफ वृषभ, कन्या, मकर, कर्क, वृश्चिक, मीन यह राशि आपस में मित्र हैं ।

इन राशियों को स्वभाव के आधार पर तीन भागों में बांटा गया है आईए जानते हैं तीन स्वभाव

चर स्वभाव-- मेष, कर्क, तुला, वृश्चिक

स्थिर स्वभाव -- वृषभ, सिंह, वृश्चिक, कुंभ

द्वि स्वभाव-- मिथुन कन्या धनु मीन

राशि के स्वभाव के अनुसार यह व्यक्ति का स्वभाव भी फलादेश के अंदर बताया जाता है इसलिए राशि का स्वभाव जानना बहुत ही ज्यादा जरूरी है।

सभी राशियों के अपने-अपने स्वामी ग्रह हैं जो की फलादेश में बहुत ही अति आवश्यक है इसलिए लिए जानते हैं राशियों के स्वामी ग्रह

सूर्य  सिंह

चंद्रमा कर्क 

मंगल मेष वृश्चिक

बुध मिथुन कन्या 

बृहस्पति धनु मीन 

शुक्र वृषभ तुला 

शनि मकर कुंभ

इस प्रकार से सभी ग्रहों को दो-दो राशि का स्वामी बनाया गया है परंतु सूर्य और चंद्रमा को सिर्फ एक राशि ही प्राप्त हुई है ।

राशियों को स्त्री पुरुष दो प्रकार से भी अलग-अलग संज्ञा दी गई है आईए जानते हैं कौन सी रशियन स्त्री हैं और कौन सी राशियां पुरुष हैं

स्त्री राशि वृषभ, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर, मीन


पुरुष राशि मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु, कुंभ


आई अब जानते हैं राशियों के रंग सभी राशियों के अलग-अलग रंग है उनके आधार पर

  1. मेष लाल
  2. वृषभ सफेद 
  3. मिथुन हारा
  4. कर्क सफेद
  5. सिंह धूम्रलाल
  6. कन्या पांडु रंग 
  7. तुला विचित्र 
  8. वृश्चिक ताम्र 
  9. धनु सोना
  10. मकर बुरा
  11. कुंभ कला 
  12. मीन धूम्रपिला         

जाति के आधार पर भी राशियों को चार भागों में बांटा गया है जो कि इस प्रकार है

क्षत्रिय  मेष, सिंह, धनु

वैश्य  वृषभ, कन्या, मकर

शूद्र मिथुन, तुला, कुंभ

विप्र  कर्क, वृश्चिक, मीन


गुण और धातु के आधार पर इन राशियों को अलग-अलग बांटा गय आईए जानते हैं हर राशि का गुण और उसके धातु


  1. मेष तप्त देह गुण पित्त धातु
  2. वृषभ शीत गुण वायु धातु
  3. मिथुन तप्त गुण सम धातु
  4. कर्क  शीत गुण कफ धातु
  5. सिंह उष्ण गुण पित्त धातु
  6. कन्या  शीत गुण वायु धातु
  7. तुला उष्ण गुण सम धातु
  8. वृश्चिक  शीत गुण कफ धातु
  9. धनु उष्ण गुण पित्त धातु
  10. मकर शीत गुण वायु धातु
  11. कुंभ उष्ण गुण सम धातू 
  12. मीन शीत गुण कफ धातु

इस प्रकार से राशियों के बारे में हमने आपको जानकारी दी आशा करता हूं यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। अगर आपको दी गई जानकारी अच्छी लगी हो तो कमेंट करके जरूर बताएं।

Gochar Kaise Dekhen | गोचर कैसे देखें ?

हां यह जानते हैं गोचर देखने के तरीके

 1 लग्न से ग्रहों का गोचर 2 नक्षत्रों पर ग्रहों का गोचर 3 अष्टक वर्ग 4 नवतारा चक्र 5 गोचर में बनने वाले योग 6 दशा महादशा 7 चंद्रमा से ग्रहों का गोचर

हम लोग जो भी यूट्यूब पर टीवी पर या समाचार पत्रों में और वेबसाइट पर राशिफल जानते हैं वह सब चंद्रमा अर्थात आपकी नाम राशि के अनुसार देखते हैं परंतु बाकी चीजें इसमें क्या प्रभाव दे रही हैं वह भी बहुत ही मायने रखती है इसलिए 50% राशिफल सही नहीं होता है मित्रों ऐसे राशिफल को देखने से क्या लाभ जहां 50% सही नहीं है ।

हम सब जो राशि भविष्य या राशिफल देखते हैं वो सब हमारी चंद्र राशि या नाम राशि के अनुसार बताया गया होता है इसलिए चंद्रमा के गोचर के अनुसार बताया गया फल जानने के बाद उसके अनुसार ही उपाय भी जान लेने चाहिए जिससे हमारा राशिफल या राशि भविष्य खराब भी हो तो हमारे द्वारा किए गए उपाय के द्वारा हमारे जीवन में सकारात्मकता संचार हो और खराब राशि भविष्य अच्छे राशि भविष्य में बदल जाए ।

राशि भविष्य राशिफल देखना तभी सार्थक होता है जब उसको उपाय के साथ में बताया गया हो क्योंकि जिनका राशिफल अच्छा बताया जाता है उनका तो उस दिन या महीना अच्छा होगा परंतु जिन का राशि भविष्य खराब बताया जाता है राशिफल खराब बताया जाता है उनका डर के मारे ही खराब हो जाता है ।

आपके हर राशिफल अच्छा बनाने के लिए और ग्रह दोष निवारण के लिए धर्म पूजा-पाठ डॉट कॉम पर जुड़े रहिए

shani ki dhaiya kya hoti hai ? | शनि की ढैया क्या होती है ?

 आइए जानते हैं शनि की ढैया क्या होती है किस तरह जाने की शनि की ढैया आपकी राशि पर है या नहीं ? इसके साथ जानिए शनि की ढैया के उपाय।

shani ki dhaiya kya hoti hai ? | शनि की ढैया क्या होती है ?

धर्म पूजा पाठ के सभी सदस्यों को जय श्री कृष्ण मित्रों शनि की ढैया (shani ki dhaiya) का नाम सुनते ही सभी लोग भयभीत हो जाते हैं इसीलिए आज हम बताने जा रहे हैं शनि की ढैया क्या होती है ? (shani ki dhaiya kya hoti hai ?) जिसे जानने के बाद आप शनि की ढैया से खबर आएंगे नहीं बल्कि तकलीफ के अनुसार आप उसका उपाय करेंगे ।

shani ki dhaiya kya hoti hai ? | शनि की ढैया क्या होती है ?

शनि की ढैया जिसे लोग लघु कल्याणी या छोटी पनौती के नाम से जानते हैं यह तब होती है जब गोचर बसा शनि आपकी चंद्र राशि से चौथे या आठवें स्थान पर संचार करता है ईसे ही शनि की ढैया कहते हैं । यह लगभग लड़ाई वर्ष के लिए होती है तथा इसका प्रभाव अशुभ माना गया है ।

शनि की ढैया का प्रभाव

शनि की ढैया के प्रभाव से जातक या जातिका को वृथा दौड़-धूप, अनावश्यक खर्च, गुप्त चिंताएं, रोग शोक, क्लेश, धन हानि, बंधु विरोध, कार्यों में विघ्न बाधा, एवं आर्थिक उलझनों का सामना करना पड़ता है।

शनि की ढैया का उपाय

  • शनि के मंत्रों का जाप करें ।
  • शाम के समय शनि के स्तोत्र का पाठ करें ।
  • काली वस्तुओं का दान करें।
  • शनि शांति कराएं ।
  •  हनुमान जी की उपासना करें ।


आशा करता हूं आप सभी को यह लेख पसंद आया होगा और इससे आपकी जानकारी बढी होगी इसी के साथ सभी को जय श्री कृष्णा।

https://youtu.be/j7d6YoMRePo


ज्योतिषीय जानकारी लग्नेश किसे कहते हैं

 

ज्योतिषीय जानकारी

आइए जानते हैं आज के लेख में लग्नेश किसे कहते हैं ?

इसका प्रभाव जातक पर किस प्रकार  पड़ता है ?

यदि लग्नेश निर्बल हो तो क्या करना चाहिए ?

लग्नेश किसे कहते हैं ?

जन्मपत्रिका में पहले भाव में स्थित राशि के स्वामी को लग्नेश कहते हैं । यदि पहले भाव में एक नंबर लिखा है तो इसका मतलब मेष राशि है और लग्नेश मंगल हुआ । यदि पहले तान में चार नंबर लिखा हुआ है अर्थात कर्क राशि हुई इसका स्वामी चंद्र है इसलिए लग्नेश चंद्र हुआ ।

इसका प्रभाव जातक पर किस प्रकार  पड़ता है ?

लग्न का मतलब होता है शरीर और लग्नेश से शरीर के सुख की प्राप्ति के बारे में जाना जाता है यदि लग्नेश कमजोर हो तो शारीरिक सुख की कम प्राप्ति होती है जीवन में संघर्ष करना पड़ता है अगर लग्नेश अच्छी स्थिति में हो तो जीवन में कई चीजें सहज प्राप्त हो जाती हैं शारीरिक सुख प्राप्त होता है

यदि लग्नेश निर्बल हो तो क्या करना चाहिए ?

आइए जानते हैं यदि लग्नेश निर्बल हो तो क्या करना चाहिए । यदि लग्नेश कमजोर हो तो उसका रत्न धारण करने से बचें रत्न की बजाय लग्नेश के मंत्रों का जाप करें । लग्नेश से संबंधित देवी देवता की पूजा करें उनके मंत्रों का जाप करें ।

यात्रा में सन्मुख चंद्रमा का विशेष फल और चंद्रमा कैसे देखें ?

मित्रों आइए जानते हैं यात्रा में सन्मुख चंद्रमा का विशेष फल क्या होता है तथा चंद्रमा कैसे देखें ? धर्म पूजा पाठ के सभी सदस्यों को जय श्री कृष्णा ।

चंद्रमा का विशेष फल क्या होता है तथा चंद्रमा कैसे देखें ?

मित्रों आप सभी जानते हैं की यात्रा के समय सभी लोग शुभ मुहूर्त जानना चाहते हैं जिसमें चंद्रमा की अहम भूमिका रहती है इसलिए यात्रा में चंद्रमा का विशेष ध्यान रखा जाता है ।

चंद्रमा का विशेष फल क्या होता है ?

यात्रा में जाने वाली दिशा में चंद्रमा का वास सन्मुख और दाहिने ओर हो तो धन का लाभ और सुख होता है परंतु यदि पीठ की ओर अथवा बाई तरफ चंद्रवास हो तो कष्ट और धन की हानि होती है ।

करण दोष, नक्षत्र दोष, वार दोष, सक्रांति दोष, अशुभ तिथि दोष, कुलीक दोष, प्रहाअर्ध वारवेला दोष, मंगल, शनि, रवि, राहु, केतु के दोष को सम्मुख चंद्रमा दूर करता है ।

चंद्रमा कैसे देखें ?

जिस तरफ की दिशा में जाना हो यात्रा की शुरुआत वाले दिन चंद्रमा जिस राशि में हो उसकी दिशा कौन सी है यह जानकर पता लगाया जा सकता है कि चंद्रमा किस दिशा में है ?

उदाहरण के लिए यदि आप उत्तर भारत में रहते हैं और आपको दक्षिण भारत की यात्रा करनी हो तो चंद्रमा यदि मेष राशि में हो तो चंद्रमा बाएं तरफ होगा इसलिए यात्रा नहीं करनी चाहिए ।

चंद्रमा की दिशा नीचे दी गई तालिका के अनुसार समझे ---

पूर्व ---- मेष सिंह धनु

दक्षिण--- वृषभ कन्या मकर 

पश्चिम---मिथुन तुला कुंभ 

उत्तर--- कर्क वृश्चिक मीन

आशा करता हूं दी गई जानकारी आप लोगों को पसंद आएगी और आप के लिए उपयोगी साबित होगी।