धर्म पुजा पाठ

हर प्रकार की पूजा, हवन, मंत्र , मुहूर्त, दुर्गा स्थापना मुहूर्त, दीपावली मुहूर्त, गणपति स्थापना मुहूर्त, जाप, पाठ, ज्योतिष, राशिफल, राशि भविष्य, भगवान के 108 नाम, मंत्र, भगवान श्री गणेश, महादेव, विष्णु, लक्ष्मी, हनुमान के मंत्र, पूजा की लिस्ट आदि इस ब्लॉग पर आपको मिलेंगे ।

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हनुमान जी और व्यापार || hanuman ji aur vyapar

                हनुमान जी और व्यापार






नमस्कार मित्रों धर्म पूजा-पाठ पर आपका स्वागत है आप सभी को जय श्री कृष्णा आइए आज जानते हैं हनुमानजी और व्यापार में ज्योतिषिय संबंध क्या है और किस प्रकार से हनुमान जी  व्यापार को आगे बढ़ाते हैं मित्रों आपने देखा होगा कि कई व्यापारी लोग अपनी दुकान में, अपने मकान में या व्यापार स्थल पर , ऑफिस में सुंदरकांड, हनुमान चालीसा खुद करते हैं या किसी पंडित जी को नियुक्त करते हैं ताकि व्यापार में उन्नति हो ।

सभी लोगों के मन में शंका आती है कि व्यापार मैं लक्ष्मी की ज्यादा जरूरत होती है तो लोग हनुमान जी की पूजा क्यों करते हैं ऐसा कौन सा कारण है हनुमान जी की पूजा करने से व्यापार में उन्नति होती है? यूं तो सभी जानते हैं माता जानकी अर्थात सीता माता ने हनुमान जी को वरदान दिया था अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता बन जाओ अर्थात हनुमान जी अष्ट सिद्धि नव निधि देने में समर्थ हैं परंतु आज हम यही कारण ज्योतिष से जोड़ कर देखेंगे और आपको बताएंगे की व्यापार के लिए हनुमान जी की कृपा किस प्रकार से बहुत ही लाभदायक है



 शनी  : मित्रों आप सभी जानते होंगे की व्यापार के लिए नौकर और किसी फैक्ट्री के लिए मजदूर की भूमिका बहुत ही जरूरी है जिसके कारक शनि देव है और शनि और हनुमान जी की कथा आपने भली-भांति सुन रखी हैं शनि और हनुमान जी का समझौता हुआ है यदि व्यापार में शनि के कारण मजदूरों की या नौकरों की समस्या होती है हनुमानजी की उपासना बहुत ही लाभदायक रहती है

सूर्य  : सूर्य राजा का कारक है नेतृत्व की शक्ति को दर्शाता है और  सरकारी कामकाज में बहुत ही अहम भूमिका निभाता है यदि सरकारी काम काजो में दिक्कत आती है आप के टेंडर पास नहीं हो रहे हैं और व्यापार में आप अपने ग्राहकों को संतुष्ट करने में समर्थन नहीं हो रहे हैं इसका कारण सूर्य हो सकते हैं इसलिए मित्रों हनुमान जी की उपासना करने से सूर्य जैसा बल मिलता है क्योंकि हनुमान जी सूर्य के शिष्य हैं अर्थात गुरु के गुण आते हैं और सूर्य जैसा हनुमान जी में तेज हैं जो आपके नेतृत्व को बहुत ही आगे बढ़ाएंगे और सूर्य जीन चीजों का कारक है उन सभी चीजों को हनुमान जी आपको प्रदान कर सकते हैं जैसे कीर्ति , यश और नाम (यदि आपके प्रोडक्ट का नाम फैलता नहीं है तो आपका व्यापार कैसे बढ़ेगा)

मंगल   मित्रों आप सभी जानते हैं मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा बहुत की जाती है इसका मुख्य कारण यही है कि हनुमानजी पराक्रम को प्रदान करने वाले यदि आपके व्यापार में आपके पास साहस नहीं है किसी से बात करने में आप झिझकते हैं किसी भी बड़े काम को करने में आप संकोच करते हैं आपको करने से पहले डर लग रहा है तो आपका मंगल बहुत ही कमजोर है इसलिए आपके लिए हनुमान जी की उपासना, पूजा बहुत ही लाभदायक है

बुध   : मित्रों बुध  वाकपटुता का कारक है आप अच्छी-अच्छी बातें करना नहीं जानते लोगों को लुभाने में आपकी निपुणता नहीं है तो आपका बुध कमजोर हो सकता है आपकी वाणी में मधुरता नहीं है इसका मतलब बुध आपका कमजोर है जो कि व्यापार के लिए बहुत ही जरूरी है मित्रों हनुमान जी बड़े ही चतुर और गायन विद्या के साथ-साथ सेवा भाव वाले हैं और अपने भक्तों को भी इसी प्रकार का आशीर्वाद प्रदान करते हैं इसलिए व्यापार में बुध से बुद्धि प्राप्ति होती है जो कि हनुमान जी आपको प्रदान कर सकते हैं

गुरु : मित्रों ज्योतिष के अनुसार वृहस्पति ज्ञान के कारक हैं और विभिन्न प्रकार की जानकारियां जो आप अपने व्यापार के लिए उपयोग में ला सकते हैं और सभी प्रकार की जानकारियां और ज्ञान आपको हनुमानजी प्रदान कर सकते हैं

शुक्र : ज्योतिष के अनुसार शुक्र लक्ष्मी का कारक है और धन का कारक है मित्रों आप सभी जानते हैं शुक्र ग्रह भगवान शंकर का बहुत ही बड़ा भक्त है और हनुमान जी स्वयं शंकर के अवतार हैं इसलिए जो हनुमान जी की उपासना करते हैं उन पर शुक्र देव हमेशा प्रसन्न रहते हैं

चंद्र  :  ज्योतिष के अनुसार चंद्र चंचलता का कारण है और स्त्रियों का कारक है यदि आपके व्यापार में चंचलता नहीं है आप एक ही जगह ठहरे हुए हैं तो आप कमजोर चंद्र के शिकार हैं चंद्रमा मन का कारक है और मन आपका कुंठित है आप निर्णय लेने में असमर्थ हो सकते हैं मित्रों भगवान शंकर के शीश पर चंद्रमा विराजमान है और शंकर के अवतार हनुमान जी इसी कारण चंद्रमा भी हनुमान जी की उपासना करने से आपको शुभ फल देने लगता है


राहु और केतु जैसे पापी ग्रह हनुमान जी की उपासना करने वाले के सामने टिक नहीं पाते इसलिए अपने व्यापार में हमेशा ही हनुमानजी की उपासना करनी चाहिए  सही बातें अपने परिवार और अपने व्यापारी भाइयों को समझाते रहिए



इस प्रकार नव ग्रह हनुमान जी के आधीन है और हनुमान जी का पाठ सुंदरकांड या हनुमान चालीसा या बजरंग बाण या हनुमान जी के मंत्र जप हमेशा ही करते रहना चाहिए


मित्रों यदि आप किसी भी प्रकार से अपने व्यापार में संघर्ष कर रहे हैं और किसी भी ग्रह की दशा महादशा या साढ़ेसाती से ढूंढ रहे हैं तो आपके नाम और गोत्र के द्वारा हमारे शिव मंदिर में आपके लिए सुंदरकांड पाठ हनुमान चालीसा या आपके इष्ट देवता के अनुसार ऑनलाइन आप करा सकते हैं  जिसमे आपको यूट्यूब लिंक या फेसबुक पेज लिंक भेजी जाएगी जब तक आपका पाठ चालू रहेगा

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 आप सभी को जय श्री कृष्णा
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शनि के 100 उपाय / Saturn planet's 100 remedies

धर्म पूजा-पाठ ब्लॉग पर आप सब का स्वागत है  


               शनि ग्रह के 100 उपाय

शनि के 100 उपाय
शनि के 100 उपाय




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जिन लोगों के शनि की साढ़ेसाती ढैया चल रही है शनि की महादशा में जो लोग कष्ट भोग रहे हैं उन लोगों को ज्यादा से ज्यादा आप लोग शेयर करें और पुण्य कमाए

1 उड़द का दान करें
2 तिल का दान करें
3 कोई भी तेल का दान करें
4 भैंस का दान करें
5 लोहे से बनी वस्तुओं का दान करें
6 काली छतरी का दान करें
7 काली गाय का दान करें या सेवा करें
8 काले कपड़ों का दान करें  धारण करें
9 नीलम पहने या नदी में बहा दें
10 कुलथी दान करें
11 जूते चप्पल का दान करें
12 अंधे लोगों की सेवा करें
13 गरीबों की सेवा करें
14 काली कंबल दान करें
15 ओम ऐं ह्रीं श्रीं शनैश्चराय नमः का जाप करें                        23000 कम से कम
16 शनि वैदिक मंत्र का जाप करें
17 शनि गायत्री मंत्र का जाप करें
18 शनी तांत्रिक मंत्र का जाप करें
19 शनि बीज मंत्र का जाप करें
20 शनि पौराणिक मंत्र का जाप करें
21 सोने के लिए पीपलाद ऋषि द्वारा रचित मंत्र का जाप करें
22 दशरथ कृत स्तोत्र का पाठ करें
23 शनि चालीसा का पाठ करें
24 हनुमान जी का बड़वानल स्तोत्र हनुमान चालीसा हनुमान अष्टक बजरंग बाण का पाठ करें
25  हनुमान जी को शनिवार को चोला चढ़ावे
26 शनि कवच का पाठ करें
27 महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें
28 समी की समिधा से हवन करें
28 काला पुष्प चढ़ाएं
29 हिजड़ों को दान दे
30 ब्रह्मा जी के मंत्र का जाप करें
31 अच्छे कर्म करें बुरा ना सोचे
32 मछलियों को आटा डालें
33 भोजन में से थोड़ा सा भाग कोए को डालें
34 तेल का छाया पात्र दान करें
35 शिवजी की आराधना करें अभिषेक करें
36 पत्थर से बनी या चमड़े से बनी वस्तुओं का दान करें
37 रांगे का ताबीज लेकर उसमें बिछुआ की जड़ रखकर काले धागे में शनिवार को अपने बाजू में बांध ले
38 रांगे की अंगूठी धारण करें
39 दुर्गा सप्तशती का पाठ करें या करावे
40 भगवान शंकर का महिम्न स्तोत्र पाठ करें
41 बड़ के पेड़ पर दूध चढ़ाकर गीली मिट्टी का तिलक करें
42 काला सुरमा जमीन में दबाए
43 बंदर को केला खिलाएं
44 43 दिनों तक लगातार मंदिर में जाए माथा टेके
45 लहसुन प्याज मसूर का सेवन ना करें
46 झूठी गवाही ना दे अर्थात मजाक में भी झूठ ना बोले
47 शमी वृक्ष की सेवा करें
48 काले कुत्ते को रोटी दे
49 शनिवार के दिन तुला दान करें
50 शनिवार को अपने वजन के अनुसार अन्न दान करें
51 शराब ना पिए
52 शराबी या तेल की बूंदे जमीन पर 43
 दिन तक लगातार गिराए
53 दाढ़ी मूछ ना बढ़ाएं
54 800 ग्राम उड़द  या तिल पर सरसों का तेल लगाकर दरिया में बहा  दें
55 लकड़ी या पत्थर के पट्टे पर नहाना चाहिए
56 काले तिल का सेवन करें सुबह सुबह 1 ग्राम
57 शनि चंद्र साथ में हो तो चांदी धारण करें हमेशा चांदी अपने पास रखें
58 सनी अगर छठे घर में हो तो विवाह 28 साल के बाद करें
59 दक्षिण दरवाजे का मकान हो तो जल्दी से बदल दे
60 शनिवार के दिन उड़द या तिल के लड्डू बनाकर वीरान जगह में गड्ढा खोदकर दबा दें
61 कीकर की दांतुन करें
62 उड़द बादाम नारियल दरिया में बहा दें
63 शनिवार को तेल ना लगाएं
64 पराई स्त्रियों पर धन ना खर्च करें
65 घर में अंधेरा ना रहने दे
66 तेल भरा बर्तन पानी में दबाए
67 सनी अच्छा चल रहा हो तो कारोबारी योजनाएं रात को बनाएं यदि खराब चल रहा हो तो रात को योजनाएं ना बनाएं
68 दूसरों को आदर दे मान सम्मान दें
69 घर से निकलते समय पानी का घड़ा देख कर बाहर निकले
70 अपने दादाजी की सेवा करें
71 लाटरी जुआ सट्टा आदि से दूर रहें
72 श्याम वर्ण ठाकुर जी राधा कृष्ण की पूजा करें
73 लोहे की वस्तुओं और मोबाइल का कम उपयोग करें
74  शनि का यंत्र बनाकर उसकी पूजा करें
75 आलस्य का त्याग करें
76 शनिवार के दिन एक मुट्ठी चीनी चीटियों को खिलाएं
77 पीपल के नीचे दीपक जलाएं
78  बड़ में दूध डाले सेवा करें
79 नवग्रह मंत्र का जाप करें
80 राजनीतिक लोगों से दूर हैं
81 घर की नाली को साफ रखें
82 घर में कचरा इकट्ठा ना होने दें
83 शनिवार को  व्रत रखें
84 नॉनवेज कभी भी ना खाएं
85 शनिवार को दाढ़ी बाल ना बनाएं
86 शनिवार को सुंदरकांड का पाठ करें हनुमान चालीसा का पाठ करें
87 घर में धुंआ ना करें
88 यदि आप किसी कंपनी के मालिक हैं तो अपने नौकरों को उपहार दें
89 नौकर की बेइज्जती ना करें
90 सार्वजनिक कार्य करने वालों जैसे रिक्शा ड्राइवर बस ड्राइवर बस कंडक्टर इनको ₹2 एक्स्ट्रा देख कर  उस करें  और झगड़ा ना करें
91 लाल वस्त्र धारण ना करें
92 सनी चंद्र के साथ में हो तो मोती धारण करें
93 सनी सूर्य साथ हो तिल और गुड़ के पानी से भगवान शंकर का अभिषेक करें
94 सनी के कारण कुछ काम अटक रहे हो तो शनि की शांति कराएं
95 किसी से भी तिल उड़द लोहे की बनी वस्तुएं उपहार में ना ले
96 8 नंबर के लोगों से बचे
97 8 तारीख 17 तारीख 26 तारीख और शनिवार इन दिनों में सावधानी से कार्य करें
98 शनि देव के कारण बीमारी आ रही हो तो सूर्य की उपासना करें
99 मां बगलामुखी की आराधना करें रात्रि में
100  9967512888 हमारे इस नंबर पर कॉल करें और शनि की शांति के लिए 8000 रुपये पेटीएम करें

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Pandit in Thane saying. रुद्राभिषेक के 31 प्रयोग

नमस्कार मित्रों धर्म पूजा पाठ ब्लॉग पर आपका स्वागत है

भगवान शंकर का रुद्राभिषेक हम करते हैं परंतु किस कामना के लिए किस वस्तु द्रव्य से अभिषेक करना चाहिए आज इसके बारे में विशेष थोड़ी सी चर्चा करेंगे 
निष्काम भावना से किया जाने वाला रुद्राभिषेक अनंत गुना फल प्राप्त कराता है

 परंतु हर व्यक्ति की एक आकांक्षा होती है इच्छा होती है उस इच्छा के अनुसार द्रव्य द्वारा अभिषेक करना शास्त्रों में बताया गया है
1 भगवान शंकर का रुद्राभिषेक जल से करने से वर्षा होती है
2 किसी बीमारी से छुटकारा पाने के लिए कुशोदक अर्थात कुशवाहा के जल से अभिषेक करें
3 लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गन्ने का रस इक्षुरस
4 आरोग्यता तथा धन प्राप्ति के लिए मधु शहद और घी
5 मोक्ष प्राप्ति के लिए तीर्थ के जल से अभिषेक करना चाहिए
6 पुत्र की प्राप्ति के लिए गाय के दूध से अभिषेक करना चाहिए
7 जिस स्त्री को मृत संतान पैदा हो या संतान होकर मर जाए काक वंध्या दोष तो दूध से अभिषेक  करने से लाभ मिलता है
8 ज्वर अर्थात बुखार के लिए जलधारा अति उत्तम है
9 1000 घी की धारा से अभिषेक करने पर वंश की वृद्धि होती है
10 अच्छी बुद्धि प्राप्ति के लिए शक्कर मिश्रित गाय के दूध से अभिषेक करना चाहिए 
11 शत्रु विनाश के लिए सरसों के तेल से अभिषेक करना चाहिए
12 तपेदिक नामक रोग शहद का अभिषेक करने से खत्म हो जाता है
13 पाप मिटाने के लिए शहद से अभिषेक करें
14 आरोग्यता के लिए घी से अभिषेक करें
15 मात्र पुत्र की इच्छा रखने वाले शक्कर मिश्रित जल से अभिषेक करें
16 पशुओं की संख्या बढ़ाने के लिए दही से अभिषेक करें
17 भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए इत्र से अभिषेक करना चाहिए
18 प्रेम प्राप्ति के लिए गुड़ के जल से अभिषेक करें
19 वैराग्य प्राप्ति के लिए मोक्ष प्राप्ति के लिए भस्म से अभिषेक करें
20 सूर्य के लिए गेहूं चंद्रमा के लिए चावल मंगल के लिए मसूर बुध के लिए हरे मूंग बृहस्पति के लिए चना की दाल शुक्र के लिए चावल या दही शनि के लिए तिल राहु के लिए काली उड़द केतु के लिए सप्तधान्य उड़द काला तिल भगवान शंकर को अर्पण कर देना चाहिए
21 केसर मिश्रित जल से अभिषेक करने से आकर्षण व्यक्तित्व प्राप्त होता है
22 फलों के रस से अभिषेक करने से अखंड ऐश्वर्य प्राप्त होता है
23 जन्मपत्रिका में शनि चंद्रमा सप्तम स्थान में हो
या चंद्र राहु या शुक्र के साथ में राहु शनि केतु इन तीनों में से कोई ग्रह हो तो दूध में तिल मिलाकर अभिषेक करने से दांपत्य जीवन सुखी बनता है
24 जन्मपत्रिका में यदि सूर्य और शनि साथ में हो तो जल में गुड़ का पानी और तिल मिलाकर अभिषेक करने से दांपत्य जीवन सुखी होता है
25 चंदन मिश्रित जल से अभिषेक करने पर राहु अनुकूल होता है और मार्गपशस्त होता है
26 काम क्रोध मद लोभ इनसे बचने के लिए भगवान को भांग के जल से स्नान कराना चाहिए अर्थात अभिषेक करना चाहिए
27 कालसर्प दोष शांति के लिए अभिषेक करते समय शिवलिंग के समीप या ऊपर नाग नागिन का जोड़ा रखें और उसे बहते हुए जल में विसर्जित कर दें अभिषेक खोलने के बाद
28 पितरों की शांति के लिए पित्र दोष निवारण के लिए कोड़ी की भस्म  बनाकर अभिषेक करें
29 मांगलिक दोष मिटाने के लिए लाल चंदन के जल से अभिषेक करें
30 चांडाल योग के लिए केसर युक्त जल से अभिषेक करें
31 नशा छुड़ाने के लिए भांग से अभिषेक करें धतूरा अर्पित करें
आशा करता हूं ऊपर लिखे हुए सभी प्रयोग जनसाधारण को लाभ देंगे और आप सभी इस का प्रचार प्रसार करेंगे और शिव की कृपा का लाभ लेंगे
मित्रों यदि आप खुद से रुद्राभिषेक नहीं करते हैं तो भी किसी आवश्यक व्यक्ति को उसकी जरूरत के अनुसार प्रयोग बताकर पुण्य फलों की प्राप्ति करेंगे
धन्यवाद
JITENDRRA SHARMA
8097678427



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ग्रह शान्ति क्यों और कैसे???

 नमस्कार मित्रो  आइए आज बात करते हैं ग्रह शांति की




                                                ग्रह शान्ति क्यों????


प्रकृति में जो कुछ भी है नवग्रह के आधिन हीं है नव ग्रहों का प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता है और इन नवग्रह की अलग-अलग शक्तियां हमारे शरीर को संचालित करती हैं जिस ग्रह की शक्ति कमजोर हो तो कोई ना कोई दुविधा  का सामना हमें करना पड़ता है इन सब का ज्ञान हमें जन्मकुंडली के द्वारा होता है कि कौन से ग्रह की शांति करनी जरूरी है कोई बालक गंडमूल नक्षत्र में पैदा होता है  तो नक्षत्र की शांति   में नक्षत्र के देवता के साथ-साथ नक्षत्र किस राशि में हैं उस राशि के अनुसार ग्रह की भी पूजा होती है

 ग्रह की शांति के कारण अलग अलग हो सकते हैं परंतु विधि एक जैसी होती है जैसे कोई ग्रह नीच का हो उसके लिए भी शांति करनी चाहिए जैसे कोई ग्रह कुंडली में छठे आठवें भाव में हो उसके लिए भी शांति आवश्यक है अंशात्मक कमजोर हो या किसी पापी ग्रह से दृष्ट हो तो भी शांति करनी पड़ती है कोई पापी ग्रह तकलीफ देता हूं क्रूर ग्रह तकलीफ देता हो उसके लिए भी शांति करनी आवश्यक है कोई पापी ग्रह शुभ ग्रह किस फल को कम कर रहा है यूति में बैठकर उसके लिए भी शांति आवश्यक है कोई ग्रह खराब योग बना रहा हो उसके लिए भी शांति आवश्यक है


उदाहरण के लिए चंद्रमा यदि राहु के साथ में बैठा है तो चंद्रमा की शांति आवश्यक है चंद्रमा यदि शनि के साथ में बैठा है तो भी चंद्रमा की शांति आवश्यक है लग्नेश का संबंध छठे आठवें घर के मालिक से होता है तो दोनों की शांति आवश्यक है राहु केतु से प्रभावित या कालसर्प योग से प्रभावित सभी ग्रहों की शांति आवश्यक है







                                           ग्रह शांति कैसे करे????
ग्रह शांति के लिए अलग-अलग उपाय हैं जैसे किसी ग्रह का दान कर देना यदि चंद्रमा कमजोर हैं तो चंद्रमा से संबंधित वस्तुओं का दान चंद्रमा की शांति कर सकता है जैसे चिंटी को कीड़े मकोड़ों को शक्कर डाल देना इससे भी चंद्रमा को बल मिलता है चंद्रमा की वस्तु को उपयोग करने वाले व्यक्ति को दे देना यदि चंद्रमा बलहीन हो तो उसकी वस्तुओं को धारण करना जैसे मोती सफेद कपड़े पहनना दूध पानी  पीना आदि

सूर्य चंद्रमा के अलावा छठे आठवें   बाहरबे भाव के क्रूर ग्रह या पापी ग्रह कुछ तकलीफ देते हो  तो उनकी वस्तुओं का दान दे देना चाहिए यह लाल किताब के अनुसार पानी में बहा देना चाहिए 43 दिन तक

कोई भी ग्रह कमजोर हो शुभ फल देने वाला हो तो उसके रत्न को धारण करना चाहिए जिससे  शुभता बढ़े और आप के कार्य आपकी इच्छा अनुसार समय पर होते रहें


किसी भी ग्रह की शांति वैदिक रीति से करें तो वह शुभ हो या अशुभ वैदिक   रीति  से शांति करने पर वह सुभ फल ही देता है वैदिक रीति का अर्थ है पहले उस ग्रह के यंत्र की पूजा करकर  जप करें किसी योग्य ब्राह्मण से कराएं  जप की संख्या  के अनुसार दशांश हवन  हवन का दशांश तर्पण तर्पण का दशांश मार्जन मार्जन का दशांश ब्राह्मण भोजन और ब्राह्मणों को दक्षिणा देकर विदा करें तो ग्रह की शांति होती है यन्त्र को सदैव पूजा घर मे रखकर पूजे या धारण करे



ग्रहों के गायत्री मंत्र हम पहले ही लिख चुके है गायत्री मंत्र के नाम से ब्लॉग लिखा हुआ है

पौराणिक मन्त्र व जप संख्या इस  प्रकार हैं

सूर्य

ॐ जपाकुसुमसंकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम्।
तमोऽरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम्।।
 जप संख्या 7000 सात हजार
चंद्रमा
ॐ दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवम्।
नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुट भूषणम्।।
कप संख्या 1100 ग्यारह हजार
मंगल 
ॐ धरणीगर्भसंभूतं विद्युत्कांति समप्रभम् ।
कुमारं शक्तिहस्तं तं मङ्गलं प्रणमाम्यहम् ।।
जप संख्या 10000 दश हजार
बुध

ॐ प्रियङ्गुलिकाश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम्।
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम्।।
जप संख्या 9000 नो हजार


गुरु

ॐ देवानां च ऋषीणां च गुरूं काञ्चनसंन्निभम्।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।
जप संख्या 19000 उन्नीस हजार

शुक्र
ॐ हिमकुन्द मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरूम्।
सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम्।।
जप संख्या 16000 सोलह हजार

शनि
ॐ नीलाञ्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तण्ड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
जप संख्या 23000 तेइस हजार
राहु

ॐ अर्धकायं महावीर्यं चन्द्रादित्य विमर्दनम्।
सिंहिकागर्भसंभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम्।।
जप संख्या 18000 अठारह हजार
केतु
ॐ पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रहमस्तकम्।
रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम्।।
जप संख्या 17000 सतरह हजार




सभी को एक ही मन्त्र से नमन करते है
ॐ ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी, भानुः शशी भूमिसुतो बुधश्च । 
गुरुश्च शुक्रः शनिराहु केतवः, सर्वे ग्रहा शान्तिकरा भवन्तु ।।

कलियुग की मान्यता अनुसार ऊपर जो जप संख्या दी गई है उस से 4 गुना ज्यादा जप करना चाहिए
                       
                           पंडित जितेंद्र सोहन लाल शर्मा
                                                                    धन्यवाद


माला का रहस्य Rosary's secret




नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है आइए जानते हैं की माला क्या है 

आपने बहुत से लोगों को माला घुमाते हुए देखा होगा कोई रुद्राक्ष की माला फेरता है कोई तुलसी की माला फेरता है परंतु आपने कभी सोचा है कि माला क्यों फेरते हैं

 मंत्रों का जाप करने के लिए क्या भगवान को याद करने के लिए किसी माला की जरूरत है जी नहीं ऐसा कदापि नहीं है


 भगवान का नाम तो बिना माला के लिए जा सकता है भगवान का नाम गिनने के लिए तो हां शायद लोग इसीलिए माला हाथ में रखते हैं कि भगवान का नाम कितनी बार लिया उन्हें पता रहे


क्या आप खाना खाते समय निवाले गिनते हैं तो आप कहेंगे कि नहीं

आप कर्म करते समय अपने कर्मों का लेखा जोखा रखते हैं आप कहेंगे नहीं


आप अपने किए हुए पाप कर्म पुण्य कर्म का लेखा-जोखा रखते हैं आप आएंगे नहीं

तो फिर भगवान के नाम का लेखा-जोखा गिनती क्यों रखते हैं
कबीरदास जी ने कहा है

माला तो मन में फिरे जीभ फिरे मुख माहि मनुवा तो चहूं दिसि फिरै यह तो सुमिरन नाही


अगर आपका मन चारों तरफ भटक रहा है और हाथ में माला घूम रही है इस प्रकार के जप से क्या लाभ?

 तो आइए जानते हैं माला का रहस्य

1 मित्रों माला के माध्यम से हमारे मन को नियंत्रित करने प्रक्रिया बनाई गई है जब तक आपके हाथ में माला रहेगी तब तक आप अपने मन में इस बात को ध्यान में रखेंगे की मुझे इष्ट देवता के मंत्र का जप करना है

2 विशेष देवता के लिए विशेष प्रकार के माला का उपयोग बताया गया है जिसमें विशेष प्रकार की शक्ति होती है जैसे लक्ष्मी के लिए स्फटिक की माला भगवान शंकर के लिए रुद्राक्ष की माला भगवान महाविष्णु के लिए तुलसी की माला

3 माला फेरने की जो प्रक्रिया है उसमें अंगूठी मध्यमा अनामिका का उपयोग होता है जिससे मानसिक शक्ति जागृत होती है आध्यात्मिक शक्ति जागृत होती हैं और मन हमारे इष्टदेव की तरफ लगा रहता है

4 माला विशेष अनुष्ठान के लिए अति आवश्यक है क्योंकि उसी से निर्धारित किया जा सकता है कितने जप हुए क्योंकि जितने जब होते हैं उन का दशांश हवन करना जरूरी होता है उसके बाद तर्पण मार्जन हो ब्राह्मण भोजन भी


5 एक माला में 108 मनके होते हैं जिसमें सो को ही गिना जाता है बाकी 8 कमअधिक दोष के लिए छोड़ देते है

6 माला धारण करने से कई बीमारियों से राहत मिलती है

7 सही तरीके से माला फेरी जाए तो जप के द्वारा हमारे कुंडलिनी शक्ति तथा चक्र जागृत होते हैं

8 ज्योतिष के हिसाब से अगर किसी भी ग्रह के लिए उस ग्रह के अनुसार रुद्राक्ष की माला धारण कर ली जाए तो उस ग्रह का दोष कम होता है

9 माला का पूजन करके शुद्धीकरण संस्कार आदि करके अगर जप किया जाता है तो बहुत ही ज्यादा लाभ मिलता है यदि वह भी नहीं हो सकता येन केन प्रकारेण भी जप किया जाए तो लाभदाई ही  हैं

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और आप तो जानते ही हैं कि धर्म है तो सब है


पंडित जीतेंद्र सोहनलाल शर्मा धन्यवाद