नवग्रह के नकारात्मक प्रभाव और नवग्रह के उपाय
1 दान आदि के द्वारा
2 मंत्र जाप के द्वारा
3 मंत्र जाप के बाद में हवन के द्वारा
4 ग्रहों की कारक वस्तु को पानी में बहा कर या ग्रहण करके
5 ग्रहों से संबंधित पेड़ पौधों की जड़ को धारण करके
6 ग्रहों से संबंधित रत्न धारण करके
7 ग्रहों से संबंधित यंत्र आदि की पूजा करके
8 ग्रहों से संबंधित औषधि स्नान के द्वारा
नवग्रह शांति के उपाय / navgrah shanti ke upay
के अंतर्गत आइए जानते हैं कुछ विशेष
यदि सूर्य बुरा फल दे रहा हो तो सूर्य की शांति के लिए उसकी प्रसन्नता के लिए कनेर, दुपहरिया,नागरमोथा, देवदारु, मेनसिल, केशर, इलायची, पद्माख,महुवा के फूल और सुगन्धबाला के द्वारा ( इनका चूर्ण बनाकर) भगवान् सूर्यनारायण का स्मरण करते हुए स्नान करे।
चन्द्र की प्रसन्नता के लिए पञ्चगव्य, चाँदी, मोती, शंख,सीप और कुमुद को पानी में डालकर उससे स्नान करे।
मंगल की शांति के लिए सोंठ, सोंफ, लाल चन्दन, सिंगरफ,मौलसरी के फल मिलाकर मंगलग्रह स्नान करे।
बुध को प्रसन्न करने के लिए हरड़े, बहेड़ा, गोमय, अक्षत, गोरोचन, स्वर्ण, आँवले और मधु मिलाकर स्नान करे।
बृहस्पति को प्रसन्न करने के लिए मदयन्ती के पत्र, मुलेठी, सफेद सरसों और मालती के पुष्पों को जल में मिलाकर स्नान करना चाहिए।
शुक्रदेव की प्रसन्नता के लिए मूल सहित हरड़े, बहेड़ा और आँवला, इलायची, केशर और मैनसिल इन्हें जल में मिलाकर स्नान करे।
सुरमा, काले तिल, सोंफ, नागरमोथा और लोध मिले हुए जल से स्नान करने से शनि प्रसन्न होते है।
नागवेल, लोबान, तिल के पत्र, वचा, गडूची और तगर के मिश्रण के जल से राहु की प्रसन्नता बढ़ती है । राहु की शांति का यह सरल उपाय है ।
सहदेई, लज्जालु (लोबान), बला, मोथा और प्रियंगु-हिंगोठ से मिश्रित जल द्वारा स्नान करने से केतु सदा प्रसन्न रहते है।