शनिवार, 27 मई 2023

shani ki dhaiya kya hoti hai ? | शनि की ढैया क्या होती है ?

 आइए जानते हैं शनि की ढैया क्या होती है किस तरह जाने की शनि की ढैया आपकी राशि पर है या नहीं ? इसके साथ जानिए शनि की ढैया के उपाय।

shani ki dhaiya kya hoti hai ? | शनि की ढैया क्या होती है ?

धर्म पूजा पाठ के सभी सदस्यों को जय श्री कृष्ण मित्रों शनि की ढैया (shani ki dhaiya) का नाम सुनते ही सभी लोग भयभीत हो जाते हैं इसीलिए आज हम बताने जा रहे हैं शनि की ढैया क्या होती है ? (shani ki dhaiya kya hoti hai ?) जिसे जानने के बाद आप शनि की ढैया से खबर आएंगे नहीं बल्कि तकलीफ के अनुसार आप उसका उपाय करेंगे ।

shani ki dhaiya kya hoti hai ? | शनि की ढैया क्या होती है ?

शनि की ढैया जिसे लोग लघु कल्याणी या छोटी पनौती के नाम से जानते हैं यह तब होती है जब गोचर बसा शनि आपकी चंद्र राशि से चौथे या आठवें स्थान पर संचार करता है ईसे ही शनि की ढैया कहते हैं । यह लगभग लड़ाई वर्ष के लिए होती है तथा इसका प्रभाव अशुभ माना गया है ।

शनि की ढैया का प्रभाव

शनि की ढैया के प्रभाव से जातक या जातिका को वृथा दौड़-धूप, अनावश्यक खर्च, गुप्त चिंताएं, रोग शोक, क्लेश, धन हानि, बंधु विरोध, कार्यों में विघ्न बाधा, एवं आर्थिक उलझनों का सामना करना पड़ता है।

शनि की ढैया का उपाय

  • शनि के मंत्रों का जाप करें ।
  • शाम के समय शनि के स्तोत्र का पाठ करें ।
  • काली वस्तुओं का दान करें।
  • शनि शांति कराएं ।
  •  हनुमान जी की उपासना करें ।


आशा करता हूं आप सभी को यह लेख पसंद आया होगा और इससे आपकी जानकारी बढी होगी इसी के साथ सभी को जय श्री कृष्णा।

https://youtu.be/j7d6YoMRePo


गुरुवार, 18 मई 2023

भजन मैया यह जीवन हमारा आपके चरणों में है ठीक है

 

मैया ये जीवन हमारा आप के चरणों में है ॥ दीन दुखियो का सहारा आप के चरणों में है

आप की रहमत से मिलती इज्जत की दो रोटियां ॥ हम गरीवों का सहारा आप के चरणों में है। मैया

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मै भला चिंता करूँ क्यों मुझे भरोसा आप पर ॥ मेरा तो परिवार सारा आप के चरणों में है । मैया ..

तेरे दर को छोड़ कर जाऊं तो जाऊं कहाँ ॥ झुकता ये संसार सारा आप के चरणों में है। मैया

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सोमवार, 15 मई 2023

हजामत करवाने का शुभ और अशुभ दिन

आइए जानते हैं हजामत करवाने के  शुभ दिन और अशुभ दिन कौन-कौन से होते हैं और उन से क्या फर्क पड़ता है धर्म पूजा पाठ के सभी सदस्यों को जय श्री कृष्ण

हजामत करवाने का शुभ और अशुभ दिन

गर्ग आदि आचार्यों के अनुसार रविवार मंगलवार एवं शनिवार के दिन  हजामत करवाने से आयु का नाश होता है अर्थात आयु कम होती है इसके विपरीत सोमवार बुधवार गुरुवार और शुक्रवार को हजामत करवाने से शुभ होता है 

मतांतर एक पुत्र संतान वाले गृहस्थ को सोमवार के दिन तथा विद्या एवं धन आकांक्षी गृहस्थी को गुरुवार के दिन हजामत नहीं करवाना चाहिए।

इसके अलावा पर्व वाले दिन, जन्मदिन, चतुर्थी, नवमी, चतुर्दशी, रिक्ता तिथियों में, व्रत के दिन, अमावस्या, पूर्णिमा, सक्रांति, श्राद्ध के दिन, भद्रा और व्यतिपात योग में तथा भोजन करने के बाद, देश, प्रदेश जाने के समय में शुभकांक्षी को हजामत नए करवानी चाहिए ।


ज्योतिषीय जानकारी लग्नेश किसे कहते हैं

 

ज्योतिषीय जानकारी

आइए जानते हैं आज के लेख में लग्नेश किसे कहते हैं ?

इसका प्रभाव जातक पर किस प्रकार  पड़ता है ?

यदि लग्नेश निर्बल हो तो क्या करना चाहिए ?

लग्नेश किसे कहते हैं ?

जन्मपत्रिका में पहले भाव में स्थित राशि के स्वामी को लग्नेश कहते हैं । यदि पहले भाव में एक नंबर लिखा है तो इसका मतलब मेष राशि है और लग्नेश मंगल हुआ । यदि पहले तान में चार नंबर लिखा हुआ है अर्थात कर्क राशि हुई इसका स्वामी चंद्र है इसलिए लग्नेश चंद्र हुआ ।

इसका प्रभाव जातक पर किस प्रकार  पड़ता है ?

लग्न का मतलब होता है शरीर और लग्नेश से शरीर के सुख की प्राप्ति के बारे में जाना जाता है यदि लग्नेश कमजोर हो तो शारीरिक सुख की कम प्राप्ति होती है जीवन में संघर्ष करना पड़ता है अगर लग्नेश अच्छी स्थिति में हो तो जीवन में कई चीजें सहज प्राप्त हो जाती हैं शारीरिक सुख प्राप्त होता है

यदि लग्नेश निर्बल हो तो क्या करना चाहिए ?

आइए जानते हैं यदि लग्नेश निर्बल हो तो क्या करना चाहिए । यदि लग्नेश कमजोर हो तो उसका रत्न धारण करने से बचें रत्न की बजाय लग्नेश के मंत्रों का जाप करें । लग्नेश से संबंधित देवी देवता की पूजा करें उनके मंत्रों का जाप करें ।

यात्रा में सन्मुख चंद्रमा का विशेष फल और चंद्रमा कैसे देखें ?

मित्रों आइए जानते हैं यात्रा में सन्मुख चंद्रमा का विशेष फल क्या होता है तथा चंद्रमा कैसे देखें ? धर्म पूजा पाठ के सभी सदस्यों को जय श्री कृष्णा ।

चंद्रमा का विशेष फल क्या होता है तथा चंद्रमा कैसे देखें ?

मित्रों आप सभी जानते हैं की यात्रा के समय सभी लोग शुभ मुहूर्त जानना चाहते हैं जिसमें चंद्रमा की अहम भूमिका रहती है इसलिए यात्रा में चंद्रमा का विशेष ध्यान रखा जाता है ।

चंद्रमा का विशेष फल क्या होता है ?

यात्रा में जाने वाली दिशा में चंद्रमा का वास सन्मुख और दाहिने ओर हो तो धन का लाभ और सुख होता है परंतु यदि पीठ की ओर अथवा बाई तरफ चंद्रवास हो तो कष्ट और धन की हानि होती है ।

करण दोष, नक्षत्र दोष, वार दोष, सक्रांति दोष, अशुभ तिथि दोष, कुलीक दोष, प्रहाअर्ध वारवेला दोष, मंगल, शनि, रवि, राहु, केतु के दोष को सम्मुख चंद्रमा दूर करता है ।

चंद्रमा कैसे देखें ?

जिस तरफ की दिशा में जाना हो यात्रा की शुरुआत वाले दिन चंद्रमा जिस राशि में हो उसकी दिशा कौन सी है यह जानकर पता लगाया जा सकता है कि चंद्रमा किस दिशा में है ?

उदाहरण के लिए यदि आप उत्तर भारत में रहते हैं और आपको दक्षिण भारत की यात्रा करनी हो तो चंद्रमा यदि मेष राशि में हो तो चंद्रमा बाएं तरफ होगा इसलिए यात्रा नहीं करनी चाहिए ।

चंद्रमा की दिशा नीचे दी गई तालिका के अनुसार समझे ---

पूर्व ---- मेष सिंह धनु

दक्षिण--- वृषभ कन्या मकर 

पश्चिम---मिथुन तुला कुंभ 

उत्तर--- कर्क वृश्चिक मीन

आशा करता हूं दी गई जानकारी आप लोगों को पसंद आएगी और आप के लिए उपयोगी साबित होगी।



गुरुवार, 11 मई 2023

लाल किताब के अनुसार चंद्रमा के पहले घर के उपाय

लाल किताब के अनुसार चंद्रमा के पहले घर के उपाय

आइए जानते हैं लाल किताब के अनुसार चंद्रमा के पहले घर के उपाय, उससे पहले यह जान लेना जरूरी है कि उपाय करने की आवश्यकता है या नहीं और कब करना है?

लाल किताब के अनुसार चंद्रमा के पहले घर के उपाय

उपाय करने की आवश्यकता है या नहीं?

यदि जातक को मानसिक तकलीफ हो रही है आर्थिक तकलीफ हो रही है तो चंद्रमा के उपाय करने आवश्यक है?

चंद्र के उपाय कब करने चाहिए?

यदि जन्मपत्रिका के पहले घर में चंद्र हो और उसके साथ में राहु या केतु हो अन्यथा इनकी दृष्टि में हो या पक्ष बल के अनुसार चंद्रमा कमजोर हो अथवा नीच राशि में हो इनसे यदि आपको ऊपर बताई गई तकलीफ हो रही है तो चंद्रमा के उपाय जरूर करने चाहिए ।

आइए जानते हैं चंद्रमा के पहले घर के उपाय

  • बड के पेड़ में कभी-कभी पानी जरूर दें ।
  • घर में चांदी की थाली रखें ।
  • पानी दूधिया चाय चांदी की गिलास में पीये ।
  • दोलत में बढ़ोतरी के लिए लाल रंग की मंगल की चीजें घर में सुरक्षित रखें ।
  • अपने पास लाल रुमाल रखें ।
  • पत्नी या बच्चों के साथ हो तो नदी नहर में पैसे डाले ।

  • अपनी मां से चांदी या चावल लेकर घर में सुरक्षित रखें ।

  • साली से बचकर रहें और हरे रंग से परहेज करें ।

  • 24 से 27 साल की उम्र में शादी ना करें ।

  • बेटे के सुख के लिए जमीन में सौंफ दबाएं ।

  • 30 साल की उम्र के बाद अपने कमाई से मकान बनाएं ।

  • चारपाई के चारों पायो पर चांदी की किले लगाएं ।
आशा करता हूं (gun Milan blog)गुण मिलान ब्लॉग पर आपको यह पोस्ट बहुत अच्छी लगी होगी और आपके लिए लाभदायक साबित होगी ।
गुण मिलान के लिए कन्या का नक्षत्र चयन करें

रविवार, 7 मई 2023

शनि पाया विचार 2023 के अनुसार शनि का गोचर फल shani paya vichar 23

शनि पाया विचार 2023 के अनुसार शनि का गोचर फल


ता. 17 जनवरी, 2023 ई. को सायं 18 घं.-02 मिं. पर वृश्चिक राशिस्थ चंद्रकालीन शनिदेव ने पुनः कुम्भ राशि में प्रवेश किया है। विभिन्न राशियों पर शनि के पाया का परिवर्तन हो जाने से शनि के प्रभाव में भी अन्तर अवश्य पड़ेंगा। जोकि निम्न अनुसार जानें-

मेष 

 मेष - राशि पर शनि की अशुभ नीच दृष्टि होने से शरीर कष्ट, आय से खर्च अधिक रहेंगे परन्तु शनि का पाया भी लौह होने से लाभ व उन्नति के मार्ग में विघ्न रहेंगे। आकस्मिक खर्च भी बढ़ेंगे।

वृषभ

वृषभ राशि से दशमस्थ शनि होने से कठिनाईयों के बावजूद यथोचित गुजारे योग्य धन प्राप्ति के साधन बनते रहेंगे। परन्तु पाया भी ताम्र होने से अकस्मात् धन प्राप्ति, कम्पीटीशन एवं विदेश आदि के योग भी बनेंगे।

मिथुन

मिथुन-राशि से शनि नवमस्थ होने से बनते कामों में विघ्न, भाग्यौन्नति मै अड़चने एवं विलम्ब होंगे। परिवार में मतभेद भी रहेंगे। परन्तु इस राशि पर शनि का पाया सुवर्ण होने से मानसिक तनाव, लाभ कम व खर्च अधिक और मन अशान्त रहेगा।

कर्क

कर्क -राशि को शनि की ढैय्या का अशुभ प्रभाव होगा। आय में कमी एवं खर्च अधिक होंगे। बनते कामों में विघ्न, वृथा भागदौड़ एवं घरेलु उलझनें बढ़ेंगी परन्तु शनि का पाया चाँदी होने से अत्याधिक खर्च, विदेशगमन एवं वाहनादि सुखों की प्राप्ति के योग बनेंगे

सिंह

सिंह-राशि पर शनि की सप्तमस्थ शत्रु दृष्टि रहने से मानसिक तनाव, भाई-बन्धुओं से विरोध रहेगा। शनि का पाया भी लौह होने से स्वास्थ्य विकार, गुप्त चिन्ताएं एवं खर्च अधिक होंगे।

कन्या

कन्या राशि को शनि षष्ठस्थ होने से अत्यन्त संघर्ष के बाद धन प्राप्ति के साधन बनेंगे। परन्तु इस राशि पर शनि का पाया ताम्र (तांबा) होने से पदोन्नति, धन-लाभ, विदेश- यात्रा, विवाहादि सुखों की प्राप्ति होगी।

तुला

तुला-राशि से शनि पंचमस्थ होने से पदोन्नति, धन लाभ एवं उच्च-विद्या में सफलता के योग बनेंगे। शनि का पाया भी रजत होने से धन प्राप्ति, विदेश-यात्रा, भूमि-वाहनादि सुखोंकी प्राप्ति के योग बनेंगे।

वृश्चिक

वृश्चिक - राशि को शनि की ढैय्या तथा शनि का पाया सुवर्ण होने से धन का खर्च अधिक, मानसिक तनाव, वृथा दौड़धूप, घरेलु एवं व्यवसायिक उलझनें भी रहेंगी । शनि-पाया भी सुवर्ण होने से आकस्मिक खर्च बढ़ेंगे।

धनु

धनु-राशि से शनि तृतीयस्थ होने से कुछ सोची हुई योजनाओं में कामयाबी, भूमि- मकान, वाहनादि सुखों में वृद्धि एवं धन का खर्च अधिक होगा। शनि-पाया लौह होने से आय सीमित, तनाव रहे एवं कार्य/व्यवसाय में विघ्न-बाधाएं होंगी।

मकर

मकर-राशि को शनि-साढ़ेसाती के कारण आय कम व खर्च अधिक, व्यवसायिक एवं आर्थिक उलझनों के कारण मन अशान्त रहे, शनि का पाया सुवर्ण होने से लाभ व उन्नति के मार्ग में विघ्न रहें। मानसिक तनाव भी विशेष होगा।

 कुम्भ

कुम्भ- इस राशि में शनि स्वराशिगत होकर संचार करने तथा पाया ताम्र होने से कुछ रुके हुए कार्य बनेंगे। भूमि- वाहनादि सुखों की प्राप्ति होगी। विदेश यात्रा की भी योजना बनेगी। परन्तु साढ़ेसाती होने से मानसिक तनाव, घरेलु उलझनें एवं खर्च अधिक रहेंगे।

 मीन

मीन - राशि को भी शनि-साढ़ेसाती का प्रभाव रहेगा। जिससे कार्य-व्यवसाय में आय कम, परन्तु खर्च अधिक रहेंगे। शनि का पाया रजत होने से निर्वाह योग्य आय के साधन बनते रहेंगे। गुरु का संचार इसी राशि पर होने से आकस्मिक धन-लाभ के अवसर भी प्राप्त होंगे।


 

श्रीमद् भागवत कथा का सार क्यों चला गया ?

ब्राह्मण केवल अन्न धनादी के लिए घर-घर एवं जन जन को भागवत की कथा सुनाने लगे इसलिए कथा का सार चला गया है

तीर्थों का प्रभाव क्यों जाता रहा ?

तीर्थों में नाना प्रकार के अत्यंत घोर कर्म करने वाले नास्तिक और नारकी पुरुष भी रहने लगे हैं इसलिए तीर्थो का भी प्रभाव जाता रहा

कलयुग में तप का सार क्यों चला गया?

जिन का चित निरंतर काम क्रोध महान लोभ और तृष्णा से तपता रहता है वे लोग तपस्या करने लगे हैं इसलिए तप का सार भी चला गया

ध्यान योग का फल क्यों मिट गया है ?

मन पर काबू न होने के कारण तथा लोग दंभ और पाखंड का आश्रय लेने के कारण शास्त्र का अभ्यास ना करने से ध्यान योग का फल मिट गया है ।

शुकदेव मुनि को देवताओं ने किस प्रकार प्रलोभन दिया ?

जब राजा परीक्षित को शुकदेव मुनि भागवत कथा पान कराने जा रहे थे तब देवता है और उन्होंने कहा कि आप राजा परीक्षित को अमृत पान करा दीजिए और हमें कथा अमृत का दान दे दीजिए जिस से आपस में अदला-बदली हो जाएगी ।

श्रीमद् भागवत कथा के प्रश्न उत्तरhttps://youtu.be/WlN5UQQgJac

शुक्रवार, 5 मई 2023

थे तो लुखग्या कठेजी म्हारा श्याम

 थे तो लुखग्या कठेजी म्हारा श्याम, म्है तो थाने ढूंढ़ थक्या, थे तो छिपग्या कटेजी म्हारा श्याम, म्है तो थाने ढूंढ़ थक्या, ॥ टेर ॥ कोई निगुण, सगुण बतावे निराकार साकार, कोई कहे दोय भुज थारे-२, कोई बतावे भुजा चार ॥ म्है तो थाने ..... ॥

कोई जीव प्रकृति ईश्वर मंह, बरण्या मेद अनेक, कोई कहे जगत सब झूटो-२ सांचो तो ब्रह्म है एक ॥ कोई कहे बैकुण्ठ म थे रहवो रमा निवास, कोई कहे क्षीर सागर मे-२, रहवो जटे ही थारो वास ॥ कोई कहे दशरथ का बेटा, कोई कहे नन्दलाल, कोई कहे म्हारे घर मे तो, छोटो सो लडडू गोपाल ॥ महापुरूष किरपा कर म्हारो, मेटो भ्रम संताप, अब तो सब ही छोड म्हाने दरश दिया छै प्रभु आप ढुंढ़ सक्या,

अब

ही

थाने

थे तो छिपग्या ....॥

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अगर भगवान्की दया चाहते हो तो अपनोसे (v

टोंपर दया करो, तब भगवान् दया करेंगे । दया

चाहते हो, पर करते नहीं यह अन्याय है, अपने ज्ञानका तिरस्कार है ।