मायरा नरसी जी का
घणी दूर सै भाग रहयो, थारी गाडी म्हैं लार,
गाडी म्हैं बिठाले, बाबा, चुलंगा नगर अंजार।।
नरसी बोल्यो म्हारै सागे कांई करसी,
ओढ़ण कपड़ा नाम, बणै सीता म्हा...।१।।
बूढ़ो बैल टूट्यूं गाड़ी पैदल जावै हार,
ध्यान दासोजी काई गाड़ी तोड़ैगो,
ज्ञानदास जी कहै तुमड़ा फोड़ैगो,
भीड़-भाड़ में टूटै म्हारो इकतारा रो तार।।२।।
नानी बाई को भात देखणा चालौगी?
पुन पावलौ थाली में भी घालूंगी।
पांच चार दिन चौखा-चौखा जीमण जीमणा।।३।।
झोलै म्हैं दिख्या बरसोलो और पाती
किसनो म्हारो नाम जात मेरी है खाती,
चिन्ता की कांई बात है गाड़ी देऊँ सुधार।।४।।
भोले सै भक्तों के भाव जब जायग्यो,
के बिगड़ै है बैठ लै जद भागग्यो,
किसनो खाती कारण लायो, मोड़ा की मनवार।।५।।
जुड़ै ऊपर बैठ हांकस्यूं मैं न्हारा,
थै करल्यो आराम, दाबस्यूँ पग थारा,
घड़ी चार म्हे भक्ता थानै, थालू नगर अंजार।।६।।
टेटडी गाड़ी भी आज विमान बणी,
नरसी गावै सुनै खुद श्याम धणी,
सूरां सगला पीठ थपै जीवणो रै मोट्यार।।७।।
केशव कुणसौं भगत जठै हरि नै आयो,
मोहन मन मुस्काय जठै मोटा पाया,
दीन जाण के दाता म्हारी नैया करियो पार।।८।।
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