आली म्हाने लागे वृन्दावन निको | Sakhi mohe lage Vrindavan neeko/I

मीराँ बाई

लागे वृन्दावन निको आली म्हाने लागे वृन्दावन निको-२

घर-घर तुलसी ठाकुर पूजा ठाकुर पूजा-२

दर्शन गोविन्द जी को ॥आली म्हाने॥

निर्मल नीर बहत यमुना में बहत यमुना में-२

भोजन दुध दहीं को ॥आली म्हाने॥

रत्न सिंघासन आप बिराजे, आप बिराजे-२

मुकुट धरयो तुलसी को ॥आली म्हाने॥

कुंजन कुंजन फिरत राधिका, फिरत राधिका-२

शब्द सुनत मुरली को ॥आली म्हाने॥

मीरा के प्रभु गिरधर नागर, गिरधर नागर-२

भजन बिना सब फीको ॥आली म्हाने॥ 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

हम से जुड़े रहने के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद