म्हाने अब के बचा ले मेरी माय | bateu aayo levan ne

 बटाऊड़ो

म्हाने अब के बचा ले मेरी माय, बटाऊड़ो आयो लेवण न। देर॥

पाँच कोटड़ी दस दरवाजा, इण मंदिर र मांय।

लुकती छिपती में फिरू रे, किण विध छोड़े बेरी नाय॥१॥

हाथ जोड़ कन्या कहे रे, सुण मायड़ मेरी बात।

अबकि बटाऊ न पाछो कर दे, फेर चलूँगी बारे साथ॥२॥

हाथ जोड़ बुढ़िया कहे रे, सुणो बटाऊ म्हारी बात।

म्हांरी कन्या भोली-भाली, अब क तो कर दयो गुनाह माफ॥३॥

सावन रा दिन सतरह बीत्या, आई तीज प्रभात।

रमण खेलनरी मन में रहगी, संग री सहेल्याँ साथ॥४॥

मात पिता और कुटुम्ब कबीलो, फेरयो सिर पर हाथ।

सात भंयारी बहन लाड़ली, कोई न चाल्यो बारे साथ॥५॥

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

हम से जुड़े रहने के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद