पवन तनय संकट हरण, मंगल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसउ सुर भूप ।।
(तर्ज - राजा जानी ओए होए ...)
जय हो बजरंग बाला, जय हो बजरंग बाला ।।
पाँव में घुंघरु बांध के नाचे, जपे राम की माला, बजरंग बाला ।। टेर ।।
सिया राम ही राम पुकारे,
लंका जाय असुर सब मारे ।
सीता की सुध ल्याने खातिर, क्या से क्या कर डाला ।। बजरंग ।।
तेरे बल का पार न पाया,
तेरा ऋषि मुनि ध्यान लगाया ।
धृत सिन्दूर चढ़ावे थारे, उसका संकट टाला ।। बजरंग ।।
तुम सा देव नहीं कोई दानी,
तेरी माया जाये ना बखानी ।
करियो कृपा सब पे बजरंगी, लाल लंगोटे वाला ।। बजरंग ।।
तेरा निशदिन ध्यान लगाऊँ,
तुझे जहाँ सुमरूँ वहाँ पाऊँ ।
‘सेवा केन्द्र’ का तुम बजरंगी, रात दिवस रखवाला ।। बजरंग ।।
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