​जय हो बजरंग बाला | jay ho bajarang bala

 

​पवन तनय संकट हरण, मंगल मूरति रूप ।

राम लखन सीता सहित, हृदय बसउ सुर भूप ।।

(तर्ज - राजा जानी ओए होए ...)

​जय हो बजरंग बाला, जय हो बजरंग बाला ।।

पाँव में घुंघरु बांध के नाचे, जपे राम की माला, बजरंग बाला ।। टेर ।।

​सिया राम ही राम पुकारे,

लंका जाय असुर सब मारे ।

सीता की सुध ल्याने खातिर, क्या से क्या कर डाला ।। बजरंग ।।

​तेरे बल का पार न पाया,

तेरा ऋषि मुनि ध्यान लगाया ।

धृत सिन्दूर चढ़ावे थारे, उसका संकट टाला ।। बजरंग ।।

​तुम सा देव नहीं कोई दानी,

तेरी माया जाये ना बखानी ।

करियो कृपा सब पे बजरंगी, लाल लंगोटे वाला ।। बजरंग ।।

​तेरा निशदिन ध्यान लगाऊँ,

तुझे जहाँ सुमरूँ वहाँ पाऊँ ।

‘सेवा केन्द्र’ का तुम बजरंगी, रात दिवस रखवाला ।। बजरंग ।।

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