भजन
भाई म्हारा रंग सूं तो रंग मिल जाय।
गुणारी जोड़ी नाथ मिले.... भाई म्हारा
कागा कोयल एक ही रंग रे, बैठ एक ही डाल
कड़वो तो कागो बोले, कोयल रस बरसाय।। गुणारी
हल्दी केसर एक ही रंग रा, एक ही हाट बिकाय।
हल्दी तो सांगां रसीजै, केसर तिलक लगाय।। गुणारी
सन्ध्या भोर एक ही रंग री, एक सुरज री छांव।
सन्ध्या तो निंदड़ली बुलाव, भोर तो जगत जगाय।। गुणारी
डोली अरथी एक ही बांस री, एक ही कांधे जाय।
डोली तो दुल्हन घर लावे, अरथी तो मरघट जाय।। गुणारी
त्यागी भोगी एक ही घर में, एक ही खानो खाय।
त्यागी तो कर्मा न काटै, भोगी तो कर्म लगाय।। गुणारी
जोड़ी नाय मिले...
रावण विभीषण एक ही कुलरा एक ही मां और बाप।
विभीषण तो राम भक्त है, रावण कुल न लजाय।। गुणारी
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