धर्म पुजा पाठ

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पुरुषोत्तम मास में क्या करें?? / अधिक मास में क्या करें?

पुरुषोत्तम मास में क्या करें?  अधिक मास में पुजा कैसे करें ?

नमस्कार मित्रों धर्म पूजा-पाठ ब्लॉग पर आपका स्वागत है

        आइए आज बात करते हैं पुरुषोत्तम मास की जिसे कोई अधिक मास भी कहता है आप सभी जानते हैं हर वर्ष तिथि के घटने से वर्ष में दिन जो कम पड़ जाते हैं उनकी पूर्ति के लिए अधिक मास आता है इसका साफ-साफ अर्थ होता है की हमारे द्वारा किए जाने वाले कर्मों में कुछ कमी रह जाती है तो इस पुरुषोत्तम मास के द्वारा हम पूर्ति कर सकते हैं साफ शब्दों में कहे तो हम सब के लिए जो कार्य रुके हुए हैं उनको पूर्ण करने के लिए आता है यह मास, यदि हमारी कोई मनोकामना पूर्ण नहीं हो रही है तो इस मास में व्रत जप दान के द्वारा पूर्ण कर सकते हैं क्योंकि भगवान पुरुषोत्तम मनोवांछित फल प्रदान करने वाले हैं

मित्रों पुरुषोत्तम मास में किया गया पुण्य, जाप, दान, तप,

सभी अक्षय फल और सुख प्रदान करने वाले हैं

पुरुषोत्तम मास में किया गया थोड़ा सा  दान बहुत फल प्रदान करने वाला है


तो आइए जानते हैं भगवान पुरुषोत्तम की पूजा कैसे करे ?

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि नित्य क्रिया करने के बाद में विद्वान ब्राह्मण को घर में बुलाएं और ब्राह्मण की पूजा करने के उपरांत उनकी आज्ञा के अनुसार किसी शुभ शुद्ध जगह पर गाय के गोबर से लिप कर अलग-अलग रंगों से रंगीत करने के बाद उस पर चौरंग सफेद वस्त्र बिछाकर गेहूं या चावल से किसी भी अनाज से अष्टदल बनावे और उस पर तांबे या चांदी या मिट्टी अपनी सामर्थ्य के अनुसार अष्ट अंगुल प्रमाण का एक कलश स्थापित करें जिसमें पंच पल्लव सप्त मृतीका,  गंगाजल प्रक्षेप करके विधिवत मंत्रोच्चार के साथ पहले वरुण देवता की पूजा करें और उसके उपरांत भगवान श्री कृष्ण के साथ राधिका जी की स्वर्ण की मूर्ति या चांदी की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा करके स्थापित करें इनका अभिषेक करके षोडशोपचार पूजा करें ऋतु फल चढ़ाएं मीठा भोग लगाएं साष्टांग प्रणाम करके अपने सभी किए हुए पापों के लिए क्षमा प्रार्थना करें और सम्पूर्ण मास प्रज्वलित करने हेतु दीपक को प्रज्वलित करें और संकल्प लें कि मैं संपूर्ण मास इन सब नियमों का पालन करूँगा



आइए जानते हैं कौन कौन से नियम है


अपनी शक्ति के अनुसार स्नान, दान, व्रत, जाप, तर्पण, पूजा, आराधना भजन कीर्तन आदि का नियम धारण करें


भूमि पर शयन, तेल का त्याग, एक जाति के पत्रावली पर भोजन का नियम, किसी एक धान्य का परित्याग, नाखून और बाल न काटने का नियम, एक समय भोजन, नित्य दीपदान, जूता चप्पल ने पहनने का नियम, मालपुए का दान, आंवले के चूर्ण से स्नान का नियम, किसी फल का त्याग, नमक का त्याग, तिल पान का दान, सोने और चांदी का दान, गाय का दान,1 दिन के बाद 1 दिन उपवास का नियम, मौन धारण करने का नियम इनमें से एक या उससे अधिक नियमों का पालन करना चाहिए इसमास में नियम पालन करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है मनुष्य के जन्म जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं और वह सुखी हो जाता है


हमेशा भगवान पुरुषोत्तम के मंत्र का जाप करते रहना चाहिए

इस मास में ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने का भी बहुत अधिक महत्व है मित्रों ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए और स्नान करने का मंत्र इस प्रकार है


देव देव, ऋषिकेश सुरासुर नमस्कृत ।

स्नानार्थमह्मुद्यत: ।सम्पादयत्व विघ्नेन पुरुषोत्मायते नमः ।।


इसी प्रकार आप सभी पुरुषोत्तम मास अधिक मास में भगवान पुरुषोत्तम की पूजा करके इच्छित लाभ को प्राप्त करें यही हमारी मनोकामना है


सभी को जय श्री कृष्णा





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