गुरुवार, 18 जुलाई 2019

Pandit in Thane saying. रुद्राभिषेक के 31 प्रयोग

नमस्कार मित्रों धर्म पूजा पाठ ब्लॉग पर आपका स्वागत है

भगवान शंकर का रुद्राभिषेक हम करते हैं परंतु किस कामना के लिए किस वस्तु द्रव्य से अभिषेक करना चाहिए आज इसके बारे में विशेष थोड़ी सी चर्चा करेंगे 
निष्काम भावना से किया जाने वाला रुद्राभिषेक अनंत गुना फल प्राप्त कराता है

 परंतु हर व्यक्ति की एक आकांक्षा होती है इच्छा होती है उस इच्छा के अनुसार द्रव्य द्वारा अभिषेक करना शास्त्रों में बताया गया है
1 भगवान शंकर का रुद्राभिषेक जल से करने से वर्षा होती है
2 किसी बीमारी से छुटकारा पाने के लिए कुशोदक अर्थात कुशवाहा के जल से अभिषेक करें
3 लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गन्ने का रस इक्षुरस
4 आरोग्यता तथा धन प्राप्ति के लिए मधु शहद और घी
5 मोक्ष प्राप्ति के लिए तीर्थ के जल से अभिषेक करना चाहिए
6 पुत्र की प्राप्ति के लिए गाय के दूध से अभिषेक करना चाहिए
7 जिस स्त्री को मृत संतान पैदा हो या संतान होकर मर जाए काक वंध्या दोष तो दूध से अभिषेक  करने से लाभ मिलता है
8 ज्वर अर्थात बुखार के लिए जलधारा अति उत्तम है
9 1000 घी की धारा से अभिषेक करने पर वंश की वृद्धि होती है
10 अच्छी बुद्धि प्राप्ति के लिए शक्कर मिश्रित गाय के दूध से अभिषेक करना चाहिए 
11 शत्रु विनाश के लिए सरसों के तेल से अभिषेक करना चाहिए
12 तपेदिक नामक रोग शहद का अभिषेक करने से खत्म हो जाता है
13 पाप मिटाने के लिए शहद से अभिषेक करें
14 आरोग्यता के लिए घी से अभिषेक करें
15 मात्र पुत्र की इच्छा रखने वाले शक्कर मिश्रित जल से अभिषेक करें
16 पशुओं की संख्या बढ़ाने के लिए दही से अभिषेक करें
17 भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए इत्र से अभिषेक करना चाहिए
18 प्रेम प्राप्ति के लिए गुड़ के जल से अभिषेक करें
19 वैराग्य प्राप्ति के लिए मोक्ष प्राप्ति के लिए भस्म से अभिषेक करें
20 सूर्य के लिए गेहूं चंद्रमा के लिए चावल मंगल के लिए मसूर बुध के लिए हरे मूंग बृहस्पति के लिए चना की दाल शुक्र के लिए चावल या दही शनि के लिए तिल राहु के लिए काली उड़द केतु के लिए सप्तधान्य उड़द काला तिल भगवान शंकर को अर्पण कर देना चाहिए
21 केसर मिश्रित जल से अभिषेक करने से आकर्षण व्यक्तित्व प्राप्त होता है
22 फलों के रस से अभिषेक करने से अखंड ऐश्वर्य प्राप्त होता है
23 जन्मपत्रिका में शनि चंद्रमा सप्तम स्थान में हो
या चंद्र राहु या शुक्र के साथ में राहु शनि केतु इन तीनों में से कोई ग्रह हो तो दूध में तिल मिलाकर अभिषेक करने से दांपत्य जीवन सुखी बनता है
24 जन्मपत्रिका में यदि सूर्य और शनि साथ में हो तो जल में गुड़ का पानी और तिल मिलाकर अभिषेक करने से दांपत्य जीवन सुखी होता है
25 चंदन मिश्रित जल से अभिषेक करने पर राहु अनुकूल होता है और मार्गपशस्त होता है
26 काम क्रोध मद लोभ इनसे बचने के लिए भगवान को भांग के जल से स्नान कराना चाहिए अर्थात अभिषेक करना चाहिए
27 कालसर्प दोष शांति के लिए अभिषेक करते समय शिवलिंग के समीप या ऊपर नाग नागिन का जोड़ा रखें और उसे बहते हुए जल में विसर्जित कर दें अभिषेक खोलने के बाद
28 पितरों की शांति के लिए पित्र दोष निवारण के लिए कोड़ी की भस्म  बनाकर अभिषेक करें
29 मांगलिक दोष मिटाने के लिए लाल चंदन के जल से अभिषेक करें
30 चांडाल योग के लिए केसर युक्त जल से अभिषेक करें
31 नशा छुड़ाने के लिए भांग से अभिषेक करें धतूरा अर्पित करें
आशा करता हूं ऊपर लिखे हुए सभी प्रयोग जनसाधारण को लाभ देंगे और आप सभी इस का प्रचार प्रसार करेंगे और शिव की कृपा का लाभ लेंगे
मित्रों यदि आप खुद से रुद्राभिषेक नहीं करते हैं तो भी किसी आवश्यक व्यक्ति को उसकी जरूरत के अनुसार प्रयोग बताकर पुण्य फलों की प्राप्ति करेंगे
धन्यवाद
JITENDRRA SHARMA
8097678427



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सोमवार, 8 जुलाई 2019

Pandit in Thane (Wonderful views in the havan)

Pandit in Thane
This is the matter of July 4, 2019, when we were offering havan.
We suddenly took photographs
At that time we did not pay attention.
But when we saw the photo on July 7th.
So surprised
Ganesh ji looked in the fire of Havan.

We thought to be shared with you too.
If you like, you also share the blogs photo
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बुधवार, 3 जुलाई 2019

विनियोग क्या है

धर्म पूजा-पाठ ब्लॉग पर आपका स्वागत है

सभी विद्वानों को नमस्कार🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 आइए हम सब मिलकर चर्चा करते हैं *विनियोग* के बारे में

किसी भी  स्तोत्र  के पाठ से पहले  ज्यादातर मंत्रों के पहले  विनियोग लिखा हुआ होता है  यह विनियोग क्या है


*विद्वानों का कहना है विनियोग का अर्थ होता है विशिष्ट योग*


विशिष्ट योग अर्थात वह समय अब शुरू हो गया है जिसका आपने संकल्प किया था

संकल्प थोड़ी देर बाद में भी पूरा किया जा सकता है आपका संकल्पित कार्य कुछ दिनों बाद में भी पूरा हो सकता है

परंतु विनियोग में आपको तुरंत ही कार्य प्रारंभ करना है या स्तोत्र प्रारंभ करना है

विनियोग होता क्या है

जिस प्रकार एक पुस्तक की हेडिंग आप पढ़ कर समझ लेते हैं उस पुस्तक में होगा क्या परंतु जब अनुक्रमणिका पढ़ते हैं तो आपको पता चलता है कौनसे-कौनसे पेज पर क्या क्या है

उसी प्रकार विनियोग में जो आप कार्य करने जा रहे हैं किस लिए कर रहे हैं इस कार्य के देवता कौन है कौन सा छंद है किसने बनाया है यह सब चीजें आ जाते हैं

उदाहरण के लिए राम रक्षा स्तोत्र का विनियोग

*अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषिः। श्री सीतारामचंद्रो देवता। अनुष्टुप छंदः। सीता शक्तिः। श्रीमान हनुमान कीलकम। श्री सीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्तोत्रजपे विनियोगः।*


इससे पता चल जाता है बुधकौशिक  ऋषि ने इसे लिखा है अनुष्टुप नामक छंद इसमें है सीता रामचंद्र जी इसके देवता है इसकी स्वयं रक्षा करने वाले हनुमान जी अर्थात कीलक हैं माता सीता की शक्ति है भगवान सीता रामचंद्र जी की प्रीति के लिए राम रक्षा स्तोत्र का जप का विनियोग है

जिसको प्रीति प्रेम बढ़ाना हो वह विनियोग में प्रीत अर्थ पढ़ें या दूसरा कोई उद्देश्य हो उद्देश्य पढ़ें

*जपे विनियोग* का अर्थ है रामरक्षा स्तोत्र का जप करेंगे इसकी जगह उच्चारण सहित पाठ करना हो तो *पाठे विनियोग* इस प्रकार पढ़े


*अब कई विद्वान पूछते हैं इसे करें कैसे????*

विनियोग पढ़ते समय हाथ में जल लेकर पढ़ना चाहिए पढ़कर जल को भूमि पर गिरा दे इसी प्रकार का प्रचलन है

परंतु गीता प्रेस की पूजा प्रकाश नामक पुस्तक में लिखा है कि यह जल गिराने का प्रावधान कई वर्षों से चल रहा है परंतु आदिकाल से मात्र विनियोग पाठ करने का ही प्रावधान था अर्थात है मात्र पाठ कर लेना विनियोग पढ़ लेना ही पर्याप्त हैं जल लेने की आवश्यकता नही

*अर्थात हाथ में जल लेकर विनियोग  पढ़ने के बाद जल को भूमि पर गिरा दें यही विनियोग है*


विनियोग के बाद में न्यास भी करना चाहिए हृदयादी न्यास कर न्यास जोहर स्तोत्र के अलग-अलग होते हैं परंतु हर मंत्र के नहीं🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻