धर्म पुजा पाठ

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विनियोग क्या है

धर्म पूजा-पाठ ब्लॉग पर आपका स्वागत है

सभी विद्वानों को नमस्कार🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 आइए हम सब मिलकर चर्चा करते हैं *विनियोग* के बारे में

किसी भी  स्तोत्र  के पाठ से पहले  ज्यादातर मंत्रों के पहले  विनियोग लिखा हुआ होता है  यह विनियोग क्या है


*विद्वानों का कहना है विनियोग का अर्थ होता है विशिष्ट योग*


विशिष्ट योग अर्थात वह समय अब शुरू हो गया है जिसका आपने संकल्प किया था

संकल्प थोड़ी देर बाद में भी पूरा किया जा सकता है आपका संकल्पित कार्य कुछ दिनों बाद में भी पूरा हो सकता है

परंतु विनियोग में आपको तुरंत ही कार्य प्रारंभ करना है या स्तोत्र प्रारंभ करना है

विनियोग होता क्या है

जिस प्रकार एक पुस्तक की हेडिंग आप पढ़ कर समझ लेते हैं उस पुस्तक में होगा क्या परंतु जब अनुक्रमणिका पढ़ते हैं तो आपको पता चलता है कौनसे-कौनसे पेज पर क्या क्या है

उसी प्रकार विनियोग में जो आप कार्य करने जा रहे हैं किस लिए कर रहे हैं इस कार्य के देवता कौन है कौन सा छंद है किसने बनाया है यह सब चीजें आ जाते हैं

उदाहरण के लिए राम रक्षा स्तोत्र का विनियोग

*अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषिः। श्री सीतारामचंद्रो देवता। अनुष्टुप छंदः। सीता शक्तिः। श्रीमान हनुमान कीलकम। श्री सीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्तोत्रजपे विनियोगः।*


इससे पता चल जाता है बुधकौशिक  ऋषि ने इसे लिखा है अनुष्टुप नामक छंद इसमें है सीता रामचंद्र जी इसके देवता है इसकी स्वयं रक्षा करने वाले हनुमान जी अर्थात कीलक हैं माता सीता की शक्ति है भगवान सीता रामचंद्र जी की प्रीति के लिए राम रक्षा स्तोत्र का जप का विनियोग है

जिसको प्रीति प्रेम बढ़ाना हो वह विनियोग में प्रीत अर्थ पढ़ें या दूसरा कोई उद्देश्य हो उद्देश्य पढ़ें

*जपे विनियोग* का अर्थ है रामरक्षा स्तोत्र का जप करेंगे इसकी जगह उच्चारण सहित पाठ करना हो तो *पाठे विनियोग* इस प्रकार पढ़े


*अब कई विद्वान पूछते हैं इसे करें कैसे????*

विनियोग पढ़ते समय हाथ में जल लेकर पढ़ना चाहिए पढ़कर जल को भूमि पर गिरा दे इसी प्रकार का प्रचलन है

परंतु गीता प्रेस की पूजा प्रकाश नामक पुस्तक में लिखा है कि यह जल गिराने का प्रावधान कई वर्षों से चल रहा है परंतु आदिकाल से मात्र विनियोग पाठ करने का ही प्रावधान था अर्थात है मात्र पाठ कर लेना विनियोग पढ़ लेना ही पर्याप्त हैं जल लेने की आवश्यकता नही

*अर्थात हाथ में जल लेकर विनियोग  पढ़ने के बाद जल को भूमि पर गिरा दें यही विनियोग है*


विनियोग के बाद में न्यास भी करना चाहिए हृदयादी न्यास कर न्यास जोहर स्तोत्र के अलग-अलग होते हैं परंतु हर मंत्र के नहीं🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

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