धर्म पुजा पाठ

हर प्रकार की पूजा, हवन, मंत्र , मुहूर्त, दुर्गा स्थापना मुहूर्त, दीपावली मुहूर्त, गणपति स्थापना मुहूर्त, जाप, पाठ, ज्योतिष, राशिफल, राशि भविष्य, भगवान के 108 नाम, मंत्र, भगवान श्री गणेश, महादेव, विष्णु, लक्ष्मी, हनुमान के मंत्र, पूजा की लिस्ट आदि इस ब्लॉग पर आपको मिलेंगे ।

सावन की बरसे बदरिया

 


सावन की बरसे बदरिया, माँ की भीगी चुनरिया ll

भीगी चुनरिया माँ की, भीगी चुनरिया ll

सावन की बरसे बदरिया,,,,,,,,,,,,,,,


लाल चोला मईया का, चम चम चमके

माथे की बिंदिया भी, दम दम दमके ll

हाथों में झलके मुंदरिया, माँ की भीगी चुनरिया,

सावन की बरसे बदरिया,,,,,,,,,,,,,,,


छाई हरियाली झूमे, अम्बुआ की डाली

हो के मतवाली कुके, कोयलिया काली ll

बादल में कड़के बिजूरिया, माँ की भीगी चुनरिया,

सावन की बरसे बदरिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,


उँचा भवन तेरा, उँचा है डेरा

कैसे चढ़ूँ पावों, फिसले है मेरा ll

टेढ़ी-मेढ़ी है डगरिया, माँ की भीगी चुनरिया,

सावन की बरसे बदरिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,


काली घटा पानी, भर भर के लाई

झूला झूले, वैष्णो माई ll

चँचल पे माँ की नज़रिया, माँ की भीगी चुनरिया,

सावन की बरसे बदरिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

अपलोडर-अनिल रामूर्ति भोपाल

कहानी लालच की भक्ति

एक बार एक गांव में सेठ हुआ करता था वह अपने व्यापार से संतुष्ट नहीं था वह राजा बनना चाहता था उसे जब भी कोई सत्संग या कोई संत की सेवा करने का अवसर मिलता तो वह यही अपनी इच्छा जाहिर करता कि मुझे राज्य का राजा बनना है ।
एक दिन गांव में कोई संत आए उनसे भी सेठ ने यही इच्छा जाहिर की तब संत ने बताया कि भगवान शिव की तपस्या करने पर तुम्हें बहुत बड़ा राज्य प्राप्त हो सकता है ।
सेठ भी संत की बात मानकर तपस्या के लिए जंगल में चला गया और कई वर्षों तक उसने तपस्या की आखिर एक दिन भगवान शंकर प्रसन्न होकर उसे दर्शन देने आए तब सेठ जी ने भगवान शंकर से राज्य मांगा और भगवान शंकर से बोला है महादेव इस संसार का एकमात्र राजा में ही बन जाऊं परंतु भगवान शंकर बोले यह सेठ ऐसा संभव नहीं है परंतु मैं तुम्हें यह वरदान दे सकता हूं कि आज के दिन जहां तक तुम्हारी दृष्टि पड़ेगी वहां तक तुम्हारा राज्य हो जाएगा भगवान वरदान देकर अंतर्ध्यान हो गए ।
फिर क्या था सेठ को जैसे हि वरदान मिला वैसे ही वह भाग भाग कर अपने दृष्टि से दूर-दूर तक की जमीन को देखने लगा ताकि उसका राज्य बढ़ता ही जाए वह सेठ सुबह से लेकर शाम तक बिना खाना खाए बिना पानी पिए अपना राज्य बढ़ाने के लिए भागत गया और अपने दृष्टि से चारों तरफ देखता रह गया । भूख और प्यास के कारण तथा जोर-जोर से भागने की वजह से शाम के समय भूखप्यास से कमजोरी के कारण सेठ के प्राण निकल गए और वह राज्य उसके कुछ काम आया ही नहीं ।

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इस कहानी से यही सीख मिलती हैं की लालच से भगवान की भक्ति नहीं करनी चाहिए तथा जो मिला है उसमें संतुष्ट रहना चाहिए ।

कहानी लालच की भक्ति




भजन सब काम सफल हो जाते हैं

 सबं काम सफल हो जाते हैं, दुनियों में हरि गुण गाने से।

धुव ने हरि का नाम लिया, प्रभु ने चतुर्भुज दर्श दिया।

इन्कार प्रभु ने नहीं किया, वो अटल राज्य के देने में। 


प्रह्माद ने हरि का नाम लिया, प्रभू खम्भ फाड़ के दर्शं दिया,

फिर हिरणाकुश को मार दिया, प्रभु देर नहीं करो आने में । 



कबीरा ने हरि गुण गाया, जिनके घर पर बालद ल्याय।

कर्मा में भोग लगाय दिया, तब लग गये खिचड़ खाने में । 



जो कोई हरि का गूण गाते हैं वो परम धाम को जाते हैं।

भक्तराज छन्द ये गाते है. छूटट जाते आने जाने से। 









कीर्तन गोविंद जय जय गोपाल जय जय

 कीर्तन गोविंद जय जय गोपाल जय जय


गोविन्दज य-जय गोपालज य-जय

राधा रमण हरि, गोविन्द जय जय ।। १ ।।

ब्रह्मा की जय-जय, विष्णु की जय जय । 

उमा पति शिव शंकर की जय जय ।। २ ।।

राधा की जय-जय रुक्मण्ण की जय जय ।

 मोर मुकुट बंशीवाले की जय जय ।। ३ ।।

गंगा की जय जय, यमुना की जय जय । 

सरस्ती, तिरवेणी की जय जय ।। ४ ।। 

रामजी की जय जय, कृष्णजी की जय जय । 

दशरथ कुमार चारों भैयों की जय जय ।। ५ ।।

 विष्णु की जय जय, लक्ष्मी की जय जय । 

कृष्ण बलदेव दोनों भाईयों की जय जय ।। ६ ।।

 गोविन्द जय जय गोपाल जय, राधा रमण हरि




कीर्तन गोविंद जय जय गोपाल जय जय


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 इस वीडियो में मैंने अपने चैनल को किस प्रकार से गो किया और सब्सक्राइबर किस प्रकार ले 4000 वॉच टाइम घंटा यूट्यूब पर किस प्रकार पूरा किया यह बताया है



Bhajan in Sundarkand Mandal

 

गजानन महाराज भजन 


गजानंद सरकार पधारो कीर्तन की तैयारी है

आवो आवो बेगा आवो, चाव दरश को भारी है 

गजानंद सरकार पधारो कीर्तन की तैयारी है ।। टेर।।


थे आवो जद काम बणेला था पर सारी बाजी है

रणत भँवर गढ़ वाला सुणल्यो चिंता म्हाने लागी है 

देर करो ना अब तरशाओ चरणा म अर्ज हमारी है

गजानंद सरकार पधारो कीर्तन की तैयारी है ।।1।।


रिद्धिसिद्धि ले आवो विनायक दयो दरशन थारा भक्ता न

भोग लगावा धोक लगावा पुष्प चढ़ावा चरणा म

गजानंद थारा हाथा म अब तो लाज हमारी है

गजानंद सरकार पधारो कीर्तन की तैयारी है।।2।।


भगता की विनती सुन ली है शिव सूत प्यारो आयो हैं

जय जयकार करो गणपति की आकर मन हर्षायो है

बरसलो रस अब भजना में नंदू महिमा न्यारी है

गजानंद सरकार पधारो कीर्तन की तैयारी है ।।3।।


दूसरा भजन 


महाराज गजानंद आओ जी 

म्हारी सभा में रंग बरसाओ जी ।। टेर।।

रणत भंवर से आओ गजानंद, 

रिद्धि सिद्धि संग में लाओ जी।।१।।

पार्वती के देवापुत्र कहावो, 

शंकर के मन भाओजी ।। २।।

चंदन चौकी देवा आप विराजो,

केसर तिलक लगाओ जी।। ३।।

मूषक वाहन देवा आप विराजो 

मोदक का भोग लगाओ जी ।।४।। 

तानसेन गणपति गुण गावे, 

भूल्या न राह दिखाओ जी ।।५।।


श्याम बाबा भजन 

श्याम तुमसे मिलने का सत्संग ही बहाना है

दुनिया वाले क्या जाने अपना रिश्ता पुराना है ।। टेर।।

मथुरा में ढूंढा तुझे गोकुल में पाया है

वृंदावन की गलियों में मेरे श्याम का ठिकाना है ।।1।।

रामायण में ढूंढा तुझे भागवत में पाया है

गीता के पन्नों में मेरे श्याम का ठिकाना है ।।2।।

ग्वालों में ढूंढा तुझे गोपियों में पाया है

राधा जी के हृदय में मेरे श्याम का ठिकाना है ।।3।।

मंदिर में ढूंढा तुझे गलियों में पाया है

भक्तों के हृदय में मेरे श्याम का ठिकाना है ।।4।।


हनुमानजी महाराज भजन 


ना स्वर है ना सरगम है ना लय तराना है

हनुमान के चरणों में एक फूल चढ़ाना है ।।टेर।।

जब बाल समय तुम ने सूरज को निगल डाला,

अभिमानी सुरपति का सब दर्प मसल डाला,

हनुमान हुए तब से संसार ने जाना है ।।1।।

सब दुर्ग ढहा करके लंका को जलाए तुम,

सीता की खबर लाए लक्ष्मण को बचाए तुम,

प्रिय भरत सर इसे तुमको श्रीराम ने माना है ।।2।।


जब राम नाम तुमने पाया ना नगीने में,

तुम चीर दिए सीना सियाराम थे सीने में,

विस्मित जग ने देखा कभी राम दीवाना है।।3।।


हे अजर अमर स्वामी तुम हो अंतर्यामी,

मैं दीन हीन चंचल अभिमानी मै अज्ञानी,

तुमने जो नजर फेरी मेरा कौन ठिकाना है।।4।।



सावंरिया भजन 


सांवरियो है सेठ, म्हारी राधा जी सेठानी है

यह तो जाने दुनिया सारी है ।। टेर।।

राजाओ के राजा, महारानी की रानी,

सर मोर मुकुट साजे ।

जोड़ी बड़ी प्यारी, दरबार है प्यारा,

राधा के संग साजे ।

सोने पल में सेठ, सोने पल में सेठानी है,

यह तो जाने दुनिया सारी है...


सांवरिया राधा जी, भक्ता पे है राजी,

करे घणो लाड है ।

भण्डार लुटावे है, हर बात बनावे है, भक्ता रा ठाट है,

देवे छपर फाड़, नहीं इनसो कोई दानी है ।

यह तो सारी दुनिया जानी है...


सुख दुःख में सावरिया, सुख दुःख में राधा जी,

सदा तेरे साथ है ।

मेरी चिंता दूर करे, मेरी विपदा दूर करे,

रख लेवे बात है ।

भक्ता रोतो काम बस इक हाजरी लगानी है,

यह तो जाने दुनिया सारी है...


श्याम बाबा भजन 2

हारा हूँ बाबा पर तुझपे भरोसा है

हारा हूँ बाबा पर तुझपे भरोसा है,

जीतूगा एक दिन मेरा दिल ये कहता है,

मेरे माजी बन जाओ मेरी नाव चला जाओ,

बेटे को बाबा श्याम गले लगा जाओं,

हारा हूँ बाबा पर तुझपे भरोसा है ।। टेर ।। 

मैंने सुना है तू दुखड़े मिटाता बिन बोले भक्तो की बिगड़ी बनता,

मिलता न किनारा है ना कोई और साहरा है,

हारा हूँ बाबा पर तुझपे भरोसा है,

तुमसे ही जीवन मेरा ओ मेरे बाबा कैसे चलेगा समज ना आता

तुम धीर बांधते हो तो सांसे चलती है मुझे समज न आता है मेरी क्या गलती है,

हारा हूँ बाबा पर तुझपे भरोसा है,

परिवार मेरा तेरे गन है गता दोषी तो मैं हु उन्हें क्यों सताता,

उनको भी भरोसा है तूने पाला पोसा है,

हारा हूँ बाबा पर तुझपे भरोसा है,



श्याम बाबा भजन 3

यह प्रार्थना दिल की, बेकार नहीं होगी,

पूरा है भरोसा, मेरी हार नहीं होगी


सांवरे, जब तूं मेरे साथ है,

साँवरे, मेरे सर पे तेरा हाथ है,

विश्वाश नानी और द्रोपदी का रंग लाया,

बहना का भाई बन खुद साँवरा आया,

इज़्ज़त ज़माने में शर्मशार नहीं होगी,

पूरा है भरोसा मेरी हार नहीं होगी,

सांवरे, जब तूं मेरे साथ है,

सांवरे, मेरे सर पे तेरा हाथ है,

मैं हार जाऊं ये कभी हो नहीं सकता,

बेटा अगर दुःख में पिता सो नहीं सकता,

बेटे की हार तुम्हें स्वीकार नहीं होगी,

पूरा है भरोसा मेरी हार नहीं होगी,

साँवरे, जब तूं मेरे साथ है,

सांवरे, मेरे सर पे तेरा हाथ है,

जो हार जाते हैं उनको जिताता है,

राजू कहे बाबा किस्मत जगाता है,

दुनियां में ऐसी तो सरकार नहीं होगी,

पूरा है भरोसा मेरी हार नहीं होगी,

सांवरे, जब तूं मेरे साथ है,

सांवरे, मेरे सर पे तेरा हाथ है,



माताजी का भजन


कर चेत मेरी मइया क्यों देर लगावे है,

कद को थारे द्वार खड़े इब क्यों तरसावे है,


तू गांव थांदड़ में जा कर के विराजी है,

मन में है आश घनी थारे पर बाजी है,

संसार तेरी मैया नित ज्योति जगावे है,

कद को थारे द्वार खड़े......


मैं काली कोसा से हे मात चलो आइयो,

श्रदा के सिवा थारी कशू भेट नहीं लयायो,

तू अपने भग्तो का सब काम बढ़ावे है,

कद को थारे द्वार खड़े..


हे सहस भुजा वाली मने तेरा ही सहारा है,

हे दानधन वाली माँ मने थारो ही सहारा है,

अब सिर पर हाथ तेरो के काल विचारो है,

तेरी शरण घट के गुण हाथ लगावे है,

कद को थारे द्वार खड़े





Singh chadke Bhawani Ghar | सिंह चढ़सिंह चढ़ के भवानी घर आई

 सिंह चढ़ के भवानी घर आई २ 

के आज मेरे दिन बदले शेरावालिए ।। टेर ।।

मैं तो घर-घर बांटू री बधाई

दीवाना मेरा दिल उछाले शेरावालिए ।।1।।

तेरा रूप बड़ा है निराला

ना मुख से नजर फिसले शेरावालिए ।।2।।

मेरे घर में हुआ मां उजाला

अंधेरे दिन दूर निकले शेरावालिए ।।3।।

तेरे हलवे का भोग लगाया

 तू रोज-रोज आज चखले शेरावालिए ।।4।।

तेरे भक्त कहे ओं मैया 

तू चरणों में आज रखले शेरावालिए ।।5।।


यूट्यूब पर भजन सुनने के लिए यहां क्लिक करें




ambe ji ki aarti,jai ambe gouri अंबे जी की आरती, जय अंबे गौरी

 

ambe ji ki aarti,jai ambe gouri

अंबे जी की आरती, जय अंबे गौरी


जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामागौरी ।
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ।।टेर।। जय अम्बे०

माँग सिंदूर विराजत टीको मृगमदको ।
उज्ज्वलसे दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥ 1 ॥ जय अम्बे०
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै ।
रक्त-पुष्प गल माला, कण्ठनपर साजै ॥ 2 ॥ जय अम्बे ०
केहरि वाहन राजत, खड्ग खपर धारी ।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी ॥ 3 ॥ जय अम्बे०
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर सम राजत ज्योती ॥ 4 ॥ जय अम्बे०
शुम्भ निशुम्भ विदारे, महिषासुर-घाती ।
धूम्रविलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥ 5 ।। जय अम्बे•
चण्ड मुण्ड संहारे, शोणितबीज हरे ।
मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥ 6 ।।जय अम्बे०
ब्रह्माणी, रुद्राणी तुम कमलारानी ।
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी ॥ 7।।जय अम्बे०
चौंसठ योगिनि गावत, नृत्य करत भैरूँ ।
बाजत ताल मृदंगा औ बाजत डमरू ॥ 8।।जय अम्बे०
तुम ही जगकी माता, तुम ही हो भरता ।
भक्तनकी दुःख हरता सुख सम्पति करता ॥ 9 ।।जय अम्बे०
भुजा चार अति शोभित, वर- मुद्रा धारी ।
मनवाञ्छित फल पावत, सेवत नर-नारी ॥ 10 ॥ जय अम्बे०
कंचन थाल विराजत अगर कपुर बाती ।
(श्री) मालकेतुमें राजत कोटिरतन ज्योती ॥ 11 ॥ जय अम्बे०
(श्री) अम्बेजीकी आरति जो कोइ नर गावै ।
कहत शिवानँद स्वामी, सुख सम्पति पावै ॥ 12 ॥ जय अम्बे०

shradh 2023 dates | पितृ पक्ष 2023 की तारीखे

 shradh 2023 dates | पितृ पक्ष 2023 की तारीखे अर्थात किस तारीख को किस तिथि का श्राद्ध हो रहा है यह इस लेख में जानेंगे ।

2023 में श्राद्ध पक्ष 29 सितंबर से शुरू होगा तथा सर्वपपितृ अमावस्या 14 अक्टूबर 2023 के दिन पूर्ण हो जाएगा । आईए जानते हैं तारीख के अनुसार

पूर्णिमा श्राद्ध

29 सितंबर 2023 शुक्रवार


प्रतिपदा एकम का श्राद्ध

30 सितंबर 2023 शनिवार दोपहर 12:22 तक


दूज का श्राद्ध 

30 सितंबर 2023 शनिवार दोपहर 12 22 के बाद तथा जो लोग जल्दी श्राद्ध निकालते हो 1अक्टूबर  2023 रविवार को 9:41 तक दूज रहेगी ।


तृतीय तीज का श्राद्ध 

1 अक्टूबर 2023 रविवार को सुबह 9:42 के बाद


चतुर्थी चौथ का श्राद्ध 

2 अक्टूबर 2023 सोमवार को


पंचमी का श्राद्ध  

3 अक्टूबर 2023 मंगलवार को


छठ का श्राद्ध 

4 अक्टूबर 2023 बुधवार को


सप्तमी का श्राद्ध 

5 अक्टूबर 2023 गुरुवार को


अष्टमी का श्राद्ध 

6 अक्टूबर 2023 शुक्रवार को


नवमी का श्राद्ध 

7 अक्टूबर 2023 शनिवार को सुबह 8:09 के बाद जिनको सुबह जल्दी श्राद्ध निकालना हो 8 अक्टूबर 2023 को रविवार के दिन 10:13 के पहले निकल सकते हैं ।


दशमी का श्राद्ध 

8 अक्टूबर 2023 रविवार को 10:14 के बाद तथा 9 अक्टूबर 2023 सोमवार को दोपहर 12:37 तब भी निकाल सकते हैं ।


एकादशी का श्राद्ध 

9 अक्टूबर 2023 सोमवार को 1238 से तथा 10 अक्टूबर 2023 मंगलवार को दोपहर 3:09 तक भी निकाला जा सकता है।


द्वादशी का श्राद्ध 

11 अक्टूबर 2023 बुधवार को


त्रयोदशी का श्राद्ध 

12 अक्टूबर 2023 गुरुवार को


चतुर्दशी का श्राद्ध 

13 अक्टूबर 2023 शुक्रवार को


सर्वपितृ अमावस्या का श्राद्ध

14 अक्टूबर 2023 शनिवार को सर्वपितृ अमावस्या का श्राद्ध निकल जाएगा इसी दिन श्राद्ध पक्ष समाप्त होगा ।

मातामह श्राद्ध 15 अक्टूबर 2023 नवरात्रि घट स्थापना के दिन किया जाएगा ।


दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी हो तथा यदि कोई आपका प्रश्न हो तो कमेंट करके जरूर बताएं ।

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rashi kya hai ? | राशि क्या है?

 राशियों की संपूर्ण जानकारी

ज्योतिष राशि भविष्य के सभी दर्शकों को जय श्री कृष्णा मित्रों लिए जानते हैं राशि किसे कहते है और राशियों के बारे में संपूर्ण जानकारी ।

rashi kya hai ? | राशि क्या है?

जैसा कि आप सभी जानते हैं पृथ्वी चंद्रमा बुध बृहस्पति आदि सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हैं जिस वृताकार दूरी पर यह सभी ग्रह परिक्रमा करते हैं उसे 12 भागों में बांटा गया है और उनको पहचान के लिए तारों के समूह से बनने वाली आकृति के द्वारा उनका नाम निर्धारित किया गया है।

वृताकार गोला को ( 360°) को 12 से विभाजित करने पर 30 अंश एक राशि का मांन बनता है तथा तारों के समूह से बनने वाली आकृति को एक नाम दिया गया है और उनका नंबर निर्धारित किया गया है जो इस प्रकार है -

१ मेष 

२ वृषभ

३ मिथुन

४ कर्क 

५ सिंह

६ कन्या

७ तुला

८ वृश्चिक 

९  धनु

१० मकर

११ कुम्भ

१२ मीन 


आईए जानते हैं राशियों के अंग्रेजी नाम

राशियों के अंग्रेजी नाम

मेष Arise – एरीस

वृषभ Taurus – टोरस

मिथुन Gemini – जैमिनी

कर्क Cancer – कैंसर

सिंह Leo- लिओ

कन्या Virgo वर्गो

तुला Libra – लिब्रा

वृश्चिक Scorpio – स्कोर्पियो

धनु Sagittarius- सजिटेरियस

मकर Capricornus- कैप्रिकॉर्न

कुंभ Aquarius – एक्वेरियस

मीन Pisces – पाइसेज

इन राशियों को तत्व के अनुसार चार विभागों में बांटा गया है आईए जानते हैं राशियों के तत्व

अग्नि तत्व 

मेष, सिंह, धनु

पृथ्वी तत्व 

वृषभ, कन्या, मकर

वायु तत्व 

मिथुन तुला कुंभ

जल तत्व

कर्क, वृश्चिक, मीन

इसी आधार पर राशियों की मित्रता भी निर्धारित की गई है अग्नि तत्व वाली राशियों की मित्रता वायु तत्व वाली राशियों से होती है तथा पृथ्वी तत्व वाली राशियों की

 मित्रता जल तत्व वाली राशियों से होती है अर्थात मेष सिंह धुन मिथुन तुला कुंभ ये राशि आपस में मित्र हैं दूसरी तरफ वृषभ, कन्या, मकर, कर्क, वृश्चिक, मीन यह राशि आपस में मित्र हैं ।

इन राशियों को स्वभाव के आधार पर तीन भागों में बांटा गया है आईए जानते हैं तीन स्वभाव

चर स्वभाव-- मेष, कर्क, तुला, वृश्चिक

स्थिर स्वभाव -- वृषभ, सिंह, वृश्चिक, कुंभ

द्वि स्वभाव-- मिथुन कन्या धनु मीन

राशि के स्वभाव के अनुसार यह व्यक्ति का स्वभाव भी फलादेश के अंदर बताया जाता है इसलिए राशि का स्वभाव जानना बहुत ही ज्यादा जरूरी है।

सभी राशियों के अपने-अपने स्वामी ग्रह हैं जो की फलादेश में बहुत ही अति आवश्यक है इसलिए लिए जानते हैं राशियों के स्वामी ग्रह

सूर्य  सिंह

चंद्रमा कर्क 

मंगल मेष वृश्चिक

बुध मिथुन कन्या 

बृहस्पति धनु मीन 

शुक्र वृषभ तुला 

शनि मकर कुंभ

इस प्रकार से सभी ग्रहों को दो-दो राशि का स्वामी बनाया गया है परंतु सूर्य और चंद्रमा को सिर्फ एक राशि ही प्राप्त हुई है ।

राशियों को स्त्री पुरुष दो प्रकार से भी अलग-अलग संज्ञा दी गई है आईए जानते हैं कौन सी रशियन स्त्री हैं और कौन सी राशियां पुरुष हैं

स्त्री राशि वृषभ, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर, मीन


पुरुष राशि मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु, कुंभ


आई अब जानते हैं राशियों के रंग सभी राशियों के अलग-अलग रंग है उनके आधार पर

  1. मेष लाल
  2. वृषभ सफेद 
  3. मिथुन हारा
  4. कर्क सफेद
  5. सिंह धूम्रलाल
  6. कन्या पांडु रंग 
  7. तुला विचित्र 
  8. वृश्चिक ताम्र 
  9. धनु सोना
  10. मकर बुरा
  11. कुंभ कला 
  12. मीन धूम्रपिला         

जाति के आधार पर भी राशियों को चार भागों में बांटा गया है जो कि इस प्रकार है

क्षत्रिय  मेष, सिंह, धनु

वैश्य  वृषभ, कन्या, मकर

शूद्र मिथुन, तुला, कुंभ

विप्र  कर्क, वृश्चिक, मीन


गुण और धातु के आधार पर इन राशियों को अलग-अलग बांटा गय आईए जानते हैं हर राशि का गुण और उसके धातु


  1. मेष तप्त देह गुण पित्त धातु
  2. वृषभ शीत गुण वायु धातु
  3. मिथुन तप्त गुण सम धातु
  4. कर्क  शीत गुण कफ धातु
  5. सिंह उष्ण गुण पित्त धातु
  6. कन्या  शीत गुण वायु धातु
  7. तुला उष्ण गुण सम धातु
  8. वृश्चिक  शीत गुण कफ धातु
  9. धनु उष्ण गुण पित्त धातु
  10. मकर शीत गुण वायु धातु
  11. कुंभ उष्ण गुण सम धातू 
  12. मीन शीत गुण कफ धातु

इस प्रकार से राशियों के बारे में हमने आपको जानकारी दी आशा करता हूं यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। अगर आपको दी गई जानकारी अच्छी लगी हो तो कमेंट करके जरूर बताएं।