मंगलवार, 29 अप्रैल 2025

ghat chakra | घात चक्र

 

घात चक्र क्या होता है ?

 राशि के अनुसार अशुभ महीना तिथि वार नक्षत्र प्रहार चंद्र राशि लग्न योग करण पंचांग में दिए गए होते हैं इसे घात चक्र कहते हैं

घात चक्र के अनुसार नया कार्य या शुभ कार्य शुरू नहीं करना चाहिए और नया पदभार संभालना नहीं चाहिए और नए वाहन का उपयोग शुरू नहीं करना चाहिए परंतु विवाह उपनयन यज्ञ तीर्थयत्रा में इसका ध्यान नहीं रखना चाहिए ।

मेष रशि का ghat chakra | घात चक्र

मास-   कार्तिक      तिथि-   1 6 11           वार- रविवार        नक्षत्र-   मघा         योग- विशकुंभ         करण-  बव          लग्न-    मेष   प्रहर-   1     चंद्र स्त्री-   मेष        चंद्र पुरुष - मेष


वृषभ रशि का ghat chakra | घात चक्र

मास-    मार्गशीर्ष     तिथि-   5 10 15        वार-    शनिवार         नक्षत्र-   हस्त         योग-शुक्ल       करण-    शकुनि       लग्न-   मिथुन    प्रहर-  4     चंद्र स्त्री-      धनु     चंद्र पुरुष - कन्या






मिथुन रशि का  ghat chakra | घात चक्र

मास-    आषाढ़     तिथि-  2 7 12         वार- सोमवार        नक्षत्र-    स्वाति        योग-   परिध       करण-   चतु       लग्न- कन्या      प्रहर-   3    चंद्र स्त्री-  धनु     चंद्र पुरुष - कुंभ





कर्क रशि का ghat chakra | घात चक्र

मास-   पौष      तिथि-   2 7 12        वार-  बुधवार        नक्षत्र-   अनुराधा         योग-   व्याघात       करण-    नाग       लग्न-     मकर  प्रहर-   1    चंद्र स्त्री-    मीन       चंद्र पुरुष - सिंह





सिंह राशि का ghat chakra | घात चक्र

मास-    ज्येष्ठा     तिथि- 3 8 13          वार- शनिवार       नक्षत्र-   मूल         योग-   धृति       करण-    बव       लग्न- वृषभ      प्रहर-  1     चंद्र स्त्री-    वृश्चिक       चंद्र पुरुष - मकर




कन्या रशि का ghat chakra | घात चक्र

मास-    भाद्रपद     तिथि-  5 10 15          वार-    शनिवार         नक्षत्र-    श्रवण   योग- शूल          करण-   कौलव        लग्न-    सिंह   प्रहर-   1    चंद्र स्त्री-    वृषभ       चंद्र पुरुष - मिथुन 




तुला राशि का ghat chakra | घात चक्र

मास-    माघ     तिथि-     4 9 14      वार-  गुरु           नक्षत्र-     शत       योग-        शूल  करण-   तैतिल        लग्न-   मीन    प्रहर-   4    चंद्र स्त्री-     मीन      चंद्र पुरुष धनु 






वृश्चिक रशि का ghat chakra | घात चक्र

मास-   आशिव       तिथि-      1 3 11     वार-      शुक्र       नक्षत्र-     रेवती       योग-        व्यती   करण-       गर    लग्न-   मिथुन    प्रहर-    1   चंद्र स्त्री-       धनु    चंद्र पुरुष  वष 




धनु राशि का ghat chakra | घात चक्र

मास-   श्रवण      तिथि-    3 8 13       वार-        शुक्र    नक्षत्र-    भरणी       योग-    वरियान     करण-   तैतिल      लग्न-    सिंह   प्रहर-   1    चंद्र स्त्री-     कन्या      चंद्र पुरुष - मीन 




मकर राशि का ghat chakra | घात चक्र

मास-   बैशाख      तिथि-  4 9 14         वार- मंगलवार       नक्षत्र- रोहिणी       योग-    वैधृति      करण-   शकुनि        लग्न-  वृश्चिक     प्रहर-  4     चंद्र स्त्री-    वृश्चिक     चंद्र पुरुष सिंह




कुंभ राशि का ghat chakra | घात चक्र

मास-   चैत्र      तिथि-   3 8 13        वार-  गुरुवार           नक्षत्र-     आद्रा       योग-    गंड      करण-     किश्तगण      लग्न-   मेष    प्रहर-  3      चंद्र स्त्री-      मिथुन     चंद्र पुरुष - धनु



मीन राशि का ghat chakra | घात चक्र

मास-  फाल्गुन       तिथि-   5 10,15        वार-   शुक्रवार          नक्षत्र-    आश्लेषा      योग- वैधृति        करण-       चतु     लग्न-   कर्क    प्रहर-   4    चंद्र स्त्री-    कुंभ       चंद्र पुरुष - कुंभ

सोमवार, 14 अप्रैल 2025

Nakshatra chart | नक्षत्र चार्ट

राशि मेष

 नक्षत्र -    अश्विनी      अक्षर - चू चे चो ला     वर्ण - क्षत्रिय      वश्य -  चतुष्पद   योनि -   अश्व     गण-    देव     नाडी -  आदि    युंजा -   पूर्व    हंसक तत्व -   अग्नि    नक्षत्रपति -  अश्विनी कुमर   



नक्षत्र -    भरनी      अक्षर - ली लू ले लो      वर्ण -    क्षत्रिय       वश्य - चतुष्पद  योनि -  गज      गण-     नर    नाडी -  मध्य    युंजा - पूर्व      हंसक तत्व -     अग्नि              नक्षत्र पति - यमराज    


नक्षत्र -     कृतिका     अक्षर - अ ० ० ०      वर्ण -    क्षत्रिय         वश्य -चतुष्पद   योनि -  मेष      गण-   राक्षस      नाडी -   अंत्य    युंजा -   पूर्व    हंसक तत्व -  अग्नि    नक्षत्र पति -   अग्नि 


राशि  वृषभ 

 नक्षत्र - कृतिका अक्षर - ० इ ऊ ए    वर्ण - वैश्य         वश्य -चतुष्पद     योनि - मेष गण-राक्षस  नाडी -अंत्य   युंजा  -पूर्व   हंसक तत्व भूमि         नक्षत्र पति -     अग्री  



नक्षत्र - रोहिणी अक्षर ओ वा वी वु       वर्ण वैश्य     वश्य - चतुष्पद  योनि - सर्प      गण- नर     नाडी - अंत्य  युंजा - पूर्व    हंसक तत्व - भूमि          नक्षत्र पति -    ब्रह्मा 


नक्षत्र - मृगशिरा     अक्षर - वे वो ° °   वर्ण वैश्य       वश्य - चतुष्पद  योनि - सर्प   गण-देव   नाडी - मध्य   युंजा - पूर्व    हंसक तत्व भूमि             नक्षत्र पति -     चंद्र



राशि मिथुन

 नक्षत्र -   मृगशिरा      अक्षर -  ० ० क की      वर्ण -    शुद्र   वश्य - द्विपद  नर योनि -  सर्प    गण-    देव     नाडी -  मध्य    युंजा -    पूर्व   हंसक तत्व -      वायु         नक्षत्र पति -  चंद्रमा   



नक्षत्र - आद्रा    अक्षर - कु घ ड छ      वर्ण -शुद्र       वश्य -द्विपद नर योनि -        गण-नर      नाडी -    आदि  युंजा -   मध्य हंसक तत्व -      वायु             नक्षत्र पति -   रुद्र शिव 


नक्षत्र -    पुनर्वसु      अक्षर - के को ह ०       वर्ण - शुद्र      वश्य -  द्विपद नर योनि   योनि -  मर्ज   गण-  देव       नाडी -आदि      युंजा -  मध्य     हंसक तत्व -     वायु          नक्षत्र पति -     अदिति 


राशि कर्क

 नक्षत्र -   पुनर्वसु       अक्षर - ० ० ० ही      वर्ण -      विप्र वश्य - जलचर योनि -मर्ज        गण- देव        नाडी -आदि      युंजा - मध्य      हंसक तत्व -        जल       नक्षत्र पति -     अदिति



नक्षत्र -     पुष्य     अक्षर - हु हे हो डा      वर्ण -  विप्र     वश्य - जलचर योनि -     मेष   गण- देव        नाडी -   मध्य   युंजा -   मध्य    हंसक तत्व -       जल        नक्षत्र पति -     


नक्षत्र -     आश्लेषा     अक्षर - डी डू डे डो       वर्ण -    विप्र       वश्य -जलचर    योनि  - मार्जर   गण-   राक्षस     नाडी -  अंत्य     युंजा -  मध्य     हंसक तत्व -    जल           नक्षत्र पति -     सर्प


राशि सिंह

 नक्षत्र -   मघा       अक्षर -  मा मी मु में     वर्ण - क्षत्रिय      वश्य - वनचर चतुष्पद योनि -   मूषक     गण-   राक्षस      नाडी - अंत्य     युंजा -   मध्य    हंसक तत्व -    अग्नि           नक्षत्र पति -     पित्तर 



नक्षत्र -    पूर्वा फाल्गुनी      अक्षर -  मो टा टी टू     वर्ण -   क्षत्रिय    वश्य - वनचर चतुष्पद योनि -  मूषक      गण-    नर     नाडी -    मध्य  युंजा -   मध्य    हंसक तत्व -    अग्नि           नक्षत्र पति -     भग सूर्य


नक्षत्र -    उत्तरा फाल्गुनी      अक्षर -  टे ० ० ०      वर्ण -   क्षत्रिय    वश्य - वनचर चतुष्पद योनि -   गौ     गण-     नर    नाडी - आदि     युंजा - मध्य      हंसक तत्व -    अग्नि     नक्षत्र पति - अर्यमा सूर्य



 

राशि कन्या

 नक्षत्र -    उत्तरा फाल्गुनी     अक्षर -  टो प पी     वर्ण -   वैश्य    वश्य - द्विपद नर योनि -   गौ      गण-   नर      नाडी -  आदि    युंजा -   मध्य    हंसक तत्व -    भूमि      नक्षत्र पति -   अर्यमा सूर्य



नक्षत्र -    हस्त      अक्षर - पू  ष ण  ठ    वर्ण -    वैश्य   वश्य- द्विपद नर योनि -  महिष      गण-   देव      नाडी -  आदि    युंजा -  मध्य     हंसक तत्व -     भूमि     नक्षत्र पति -   सूर्य  


नक्षत्र -    चित्रा      अक्षर -  पे पो ० ०     वर्ण -   वैश्य    वश्य - द्विपद नर   योनि -  व्याघ्र      गण-   राक्षस      नाडी -   मध्य   युंजा -    मध्य   हंसक तत्व -    भूमि     नक्षत्र पति - विश्वकर्मा     



राशि तुला

 नक्षत्र -    चित्रा     अक्षर -  ० ० र री     वर्ण -   शुद्र    वश्य -द्विपद नर योनि - व्याघ्र    गण- राक्षस         नाडी -  मध्य    युंजा -    मध्य   हंसक तत्व -      भूमि         नक्षत्र पति -   विश्व कर्मा  



नक्षत्र -       स्वाति   अक्षर -       वर्ण -   शुद्र  वश्य - द्विपद नर  योनि -        गण-    देव     नाडी -   मध्य   युंजा -  मध्य    हंसक तत्व -      भूमि        नक्षत्र पति -     वायु


नक्षत्र -  विशाखा        अक्षर -       वर्ण -  शुद्र    वश्य - द्विपद नर योनि - व्याघ्र       गण-   राक्षस      नाडी -   मध्य   युंजा -   मध्य    हंसक तत्व -  भूमि            नक्षत्र पति -     इंद्र अग्नि 



राशि वृश्चिक 

 नक्षत्र -    विशाखा      अक्षर -       वर्ण -   विप्र    वश्य - योनि -  व्याघ्र     गण-    राक्षस    नाडी -  मध्य   युंजा -  मध्य    हंसक तत्व -               नक्षत्र पति -     इंद्र अग्नि 



नक्षत्र -   अनुराधा       अक्षर -       वर्ण -   विप्र    वश्य - योनि -        गण-    देव     नाडी -   मध्य   युंजा -   मध्य    हंसक तत्व -               नक्षत्र पति -    मित्र 


नक्षत्र -     ज्येष्ठा     अक्षर -       वर्ण -   विप्र    वश्य - योनि -        गण-  राक्षस      नाडी -  आदि    युंजा -  अंत्य    हंसक तत्व -               नक्षत्र पति -     इंद्र





राशि  धनु

 नक्षत्र -    मूल      अक्षर -       वर्ण -       वश्य -  द्विपद नर  योनि -        गण-   राक्षस    नाडी -   आदि   युंजा -  अंत्य    हंसक तत्व -               नक्षत्र पति -     राक्षस



नक्षत्र -  पूर्वाषाढ़ा         अक्षर -       वर्ण -       वश्य -    द्विपद नर योनि -        गण-         नाडी -   मध्य   युंजा -   अंत्य    हंसक तत्व -               नक्षत्र पति -     जल


नक्षत्र -     उत्तराषाढ़ा     अक्षर -       वर्ण -       वश्य -  द्विपद नर योनि -        गण-         नाडी -   अंत्य   युंजा -   अंत्य    हंसक तत्व -               नक्षत्र पति - विश्व देव


राशि  मकर

 नक्षत्र -     उत्तराषाढ़ा     अक्षर -       वर्ण -       वश्य - योनि -        गण-         नाडी -      युंजा -   अंत्य    हंसक तत्व -     भूमि          नक्षत्र पति -     विश्व देव 



नक्षत्र -       श्रवण   अक्षर -       वर्ण -       वश्य - योनि -        गण-    देव    नाडी -  अंत्य    युंजा -    अंत्य  हंसक तत्व -     भूमि          नक्षत्र पति -    विष्णु 


नक्षत्र -     धनिष्ठा     अक्षर - गा गी ००      वर्ण -  वैश्य     वश्य - जलचर योनि -   सिंह     गण-   राक्षस      नाडी -  मध्य    युंजा -  अंत्य    हंसक तत्व -     भूमि          नक्षत्र पति -     अष्टवसु



राशि कुंभ

 नक्षत्र -  धनिष्ठा        अक्षर -   ०० गु गे    वर्ण -    शुद्र  वश्य -    द्विपद नर    योनि -   सिंह     गण-   राक्षस      नाडी -   मध्य    युंजा -   अंत्य    हंसक तत्व -      वायु        नक्षत्र पति -    अष्टवसु 



नक्षत्र -   शतभिषा       अक्षर -       वर्ण -    शुद्र  वश्य -  द्विपद नर    योनि -        गण-   राक्षस      नाडी -   आदि   युंजा -    अंत्य  हंसक तत्व -     वायु          नक्षत्र पति -     वरुण 


नक्षत्र -   पूर्वा भाद्रपद       अक्षर -  से सो द ०     वर्ण - शुद्र      वश्य -  द्विपद नर  योनि -        गण-         नाडी -   आदि   युंजा -   अंत्य    हंसक तत्व -    वायु           नक्षत्र पति -     अजैक पाद  



राशि  मीन 

 नक्षत्र -    पूर्वा भाद्रपद      अक्षर -  ० ० ०  दी   वर्ण - विप्र      वश्य -  जलचर  योनि -  सिंह      गण-   नर      नाडी - आदि      युंजा -  अंत्य      हंसक तत्व -     जल    नक्षत्र पति -   अजैक पाद  



नक्षत्र -     उत्तरा भाद्रपद    अक्षर - दु थ झ  ञ,    वर्ण - विप्र      वश्य - जलचर योनि - गौ       गण-  नर       नाडी - मध्य     युंजा - अंत्य      हंसक तत्व -   जल      नक्षत्र पति -    अहिर्बुधन्य


नक्षत्र -   रेवती       अक्षर - दे दो चा ची      वर्ण - विप्र      वश्य - जलचर योनि -   गज     गण- देव         नाडी - अंत्य     युंजा -  पूर्व     हंसक तत्व -   जल        नक्षत्र पति -    पूषा  




 

गुरुवार, 10 अप्रैल 2025

hanuman ji ke superhit bhajan lyrics

hanuman ji ke superhit bhajan lyrics

hanuman ji ke superhit bhajan lyrics

झूम झूम नाचे देखो भक्त हनुमाना



झूम झूम नाचे देखो भकत हनुमाना,

भाजे कड़ताल करे राम गुण गाना,

झूम झूम नाचे देखो भकत हनुमाना,




देखो राम की धुन में मस्त मगन है ,

राम से लागि इनकी लग्न है,

राम जी के लिए हनुमान है दीवाना,

झूम झूम नाचे देखो भकत हनुमाना,




यह सत्संग गुण गान श्री राम का,

वही पर ध्यान होगा भक्त हनुमान का,

नाम हनुमान जी का भक्ति का खजाना,

झूम झूम नाचे देखो भकत हनुमाना,




हनुमान लगते है राम जी को प्यारे,

बजरंगी लगते है राम जी को प्यारे,

अंजनी के लाला सीता मैया के दुलारे,

राम जी के चरणों में इनका ठिकाना,

झूम झूम नाचे देखो भकत हनुमाना,





पार ना लगोगे श्री राम के बिना

पार ना लगोगे श्री राम के बिना,
राम ना मिलेगे हनुमान के बिना।
राम ना मिलेगे हनुमान के बिना,
श्री राम ना मिलेंगे हनुमान के बिना।


वेदो ने पुराणो ने कह डाला,
राम जी का साथी बजरंग बाला।
जीये हनुमान नही राम के बिना,
राम भी रहे ना हनुमान के बिना।


जग के जो पालन हारे है,
उन्हे हनुमान बड़े प्यारे है।
कर लो सिफ़ारिश दाम के बिना,
रास्ता ना मिलेगा हनुमान के बिना।


जिनका भरोसा वीर हनुमान,
उनका बिगड़ता नही कोई काम।
लक्खा कहे सुनो हनुमान के बिना,
कुछ ना मिलेगा गुणगान के बिना।



 hanuman ji ke superhit bhajan lyrics



सुबह शाम आठों याम यही काम किया जा

सुबह शाम आठो याम यहीं नाम लिए जा

खुश होंगे हनुमान राम राम किए जा




लिखा था राम नाम वो, पथ्थर भी तर गए

किए राम से जो बैर, जीते जी वो मर गए

बस नाम का रसपान, ए इंसान किए जा

खुश होंगे हनुमान राम राम किए जा




राम नाम की धुन पे नाचे हो कर के मतवाला

बजरंगी सा इस दुनिया में कोई ना देखा भाला

जो भी हनुमत में दर पे आता, उसका संकट ताला

मुख में राम, तन में राम, जापे राम राम की माला







जहाँ राम का कीर्तन वही हनुमान जति हो

गोदी मे गणपति को लें शिव पार्वती हो

सियाराम की कृपा से सौ साल जिए जा

खुश होंगे हनुमान राम राम किए जा




जिसपे दया श्री राम की, बाका न बाल हो

उसका सहाय ‘लक्खा’ अंजनी का लाल हो

‘राजपाल’ तू हर हाल में जैकार किए जा

खुश होंगे हनुमान राम राम किए जा ।








छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना



छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना

छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना

कहते लोग इसे राम का दिवाना

छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना

पाँव में घूंघरु बांध के नाचे

राम जी का नाम इसे प्यारा लागे

राम ने भी देखो इसे खुब पहचाना

॥ छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना...॥

जहाँ जहाँ कीर्तन होता श्रीराम का

लगता हैं पहरा वहाँ वीर हनुमान का

राम के चरण में हैं इनका ठिकाना

॥ छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना...॥

नाच नाच देखो श्रीराम को रिझाये

बनवारी देखो नाचता ही जाये

भक्तों में भक्त बडा दुनियाँ ने माना

॥ छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना...॥

छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना

कहते लोग इसे राम का दिवाना

छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना



 hanuman ji ke superhit bhajan lyrics



राम जी के साथ जो हनुमान नहीं होते



राम जी के साथ जो हनुमान नही होते







राम जी के साथ जो हनुमान नही होते,

राम जी के पुरे काम नही होते,




हनुमान पर्वत उठा कर ना लाते,

कैसे सजीवन सुशन वेद पाते,

प्राण जाते लक्षण के राम रहते रोते,

राम जी के पुरे काम नही होते,




लंका में अगर हनुमान नही जाते,

और राम की शरण में विविसन ना आते ,

रावन से विजय श्री राम नही होते ,

राम जी के पुरे काम नही होते,




रावन की लंका अगर न जलाते ,

हनुमान विकराल रूप न दिखाते,

सीता रह जाती बही राम उन्हें खोते,

राम जी के पुरे काम नही होते,





राम जी करेंगे ना तो श्याम जी करेंगे



राम जी करेंगे न तो श्याम जी करेंगे
तेरे सारे काम हनुमान जी करेगे

राम और श्याम दोनों बात मानते है
भक्त से बड़ा न कोई सब जानते है
होगा वही जो भी ये जुबान से कहे गे
राम जी करेंगे न तो श्याम जी करेंगे

आये जो मुसीबत नाम लिया करना,
अटके जो नैया बस याद किया करना
तेरी हर समस्या का निधान भी करेगे
राम जी करेंगे न तो श्याम जी करेंगे

राम जी से मिलना चाहे श्याम जी से मिलना
वनवारी पेहले हनुमान जी से मिलना
दोनों से तुम्हारी पहचान भी करे गे
राम जी करेंगे न तो श्याम जी करेंगे




 hanuman ji ke superhit bhajan lyrics



मंगलवार तेरा है शनिवार तेरा है



मंगलवार तेरा है शनिवार तेरा है,बजरंगी संभालो परिवार तेरा है ।

मंगलवार को मंदिर में आऊंगा मैं,
शनिवार सिन्‍दूर चढाउगा मैं ।
मंगलवार तेरा है शनिवार तेरा है,
हम गरीबो पे बाबा उपकार तेरा है ॥

यह नैया छोड़ी है तेरे सहारे,
अब लगाने पड़ेगी किनारे ।
मंगलवार तेरा है शनिवार तेरा है,
साँचा साँचा बाला जी परिवार तेरा है ॥

तूने संकट में साथ निभाया,
और मुसीबत से हमको बचाया ।
मंगलवार तेरा है शनिवार तेरा है,
बजरंगी हमे तो आधार तेरा है ॥

हम गरीबों का तू है सहारा,
सच्‍चा साथी समझ के पुकारा ।
मंगलवार तेरा है शनिवार तेरा है,
बनवारी बतादो क्‍या विचार तेरा है ॥





राम भी मिलेंगे तुझे श्याम भी मिलेंगे



राम भी मिलेंगे तुझे,श्याम भी मिलेंगे,
जब तुझे श्री हनुमान,
जी मिलेंगे,
राम भी मिलेंगे तुझें,
श्याम भी मिलेंगे ॥


राम और श्याम को,
बजरंगी बड़े प्यारे,
योद्धा है कन्हैया के,
राम के दुलारे,
चाहे जो बजरंगी,
राम श्याम जी मिलेंगे,
चाहे जो बजरंगी,
राम श्याम जी मिलेंगे,
राम भी मिलेंगे तुझें,
श्याम भी मिलेंगे ॥

निर्बल के बल मेरे,
वीर बजरंगी,
दुःख में हमेशा बने,
दुखियों के संगी,
प्रेम से पुकारो उस,
पल ही मिलेंगे,
प्रेम से पुकारो उस,
पल ही मिलेंगे,
राम भी मिलेंगे तुझें,
श्याम भी मिलेंगे ॥

राम को पुकारो चाहे,
श्याम को निहारो,
दोनों के लिए तो,
हनुमान को पुकारो,
‘लख्खा’ तेरे सारे सकंट,
पल में टलेंगे,
‘लख्खा’ तेरे सारे सकंट,
पल में टलेंगे,
जब तुझे श्री,
हनुमान जी मिलेंगे,
राम भी मिलेंगे तुझें,
श्याम भी मिलेंगे ॥



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की जे केसरी के लाल मेरा छोटा सा यह काम



कीजो केसरी के लाल मेरा छोटा सा यह काम
मेरी राम जी कह देना जय सियाराम
मैं राम संग जपता तुम्हारा सदा नाम
अपने राम जी से कह देना जय सिया राम

दीन हीन के सहारे महावीर तुम हो
अपने भक्तो की जगाते तकदीर तुम हो
हर दुखिया का हाथ तुम लेते हो थाम
मेरे राम जी से कह देना जय सियाराम

महाबली महायोधा महासंत तुम हो
लाते सूखे हुए बागो में बसंत में तुम हो
तेरी भक्ति से आत्मा को मिलता आराम
मेरी राम जी से कह देना जय सियाराम

पूरी सदा ही हमारी हर आस करना
बाबा भक्तो को कभी ना निराश करना
दोनों चरण तुम्हारे हैं ‘लख्खा’ के सुखदाम
मेरी राम जी से कह देना जय सियाराम






 hanuman ji ke superhit bhajan lyrics

शुक्रवार, 28 मार्च 2025

नवरात्रि में दीपक जलाने की विधि

नवरात्रि में दीपक जलाने की विधि जानने से पहले दीपक जलाने का शुभ मुहूर्त क्या होना चाहिए यह जान लेना बहुत जरूरी है।

नवरात्रि में दीपक जलाने का शुभ मुहूर्त

नवरात्रि में दीपक जलाने के लिए चौघड़िया के अनुसार शुभ का चौघड़िया लाभ का चौघड़िया अमृत का चौघड़िया हो तो नवरात्रि में दीपक जलाना बहुत ही श्रेष्ठ माना गया है।

नवरात्रि में दीपक जलाने की विधि

नवरात्रि में दीपक जलाने के पहले स्वयं अपने आप को पवित्र कर ले जल छिड़क कर यदि इसमें गंगाजल मील दिया गया हो तो अति उत्तम होगा उसके उपरांत पहले स्वयं तिलक करें क्योंकि शिखा बंधन और तिलक के बिना कभी भी दीपक प्रेरित नहीं करना चाहिए ।

नवरात्रि में किसका दीपक जलाना चाहिए ?

नवरात्रि में दीपक माता के दाहिनी तरफ में घी का दीपक जलाना चाहिए खड़ी बत्ती का और माता जी के बाई तरफ में तिल के तेल का लंबी बत्ती वाला दीपक जलाना चाहिए और दीपक के नीचे चावल जरूर रखना चाहिए ।

नवरात्रि में अखंड दीपक कैसे जलाएं?

नवरात्रि में अखंड दीपक जलने के लिए कलवा का उपयोग करना चाहिए अर्थात कलावे की बत्ती बनानी चाहिए दीपक तेल का हो तो अति उत्तम क्योंकि खास मनोकामना पूर्ण करने के लिए तिल के तेल का दीपक जलाया जाता है और दूसरा कारण यह भी है कि घी गाय का होना चाहिए जो की ज्यादा महंगा होता है और तेल की तरह तरल नहीं होने की वजह से वह बीच में खंडित हो जाता है इसलिए तेल का दीपक जलाना अति उत्तम होगा ।

दीपक जलाने का मंत्र 

दीपो ज्योति परंब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दन:, 

दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोस्तुते ।।1।।

शुभं करोति कल्याणं, आरोग्यं धन संपदाम्,

 शत्रु बुद्धि विनाशाय, दीपं ज्योति नमोस्तुते ।।2।।

या देवी सर्व भूतेशु ज्योति रूपेण संस्थिता 

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।3।।

नवरात्रि में दीपक जलाने की विधि



रविवार, 9 मार्च 2025

Shyam Bhajan Baba Ka Darbar Suhana Lagta Hai

 शहनाइयों की सदा कह रही है

खुशी की मुबारक घड़ी आ गई है

सजे सुर्ख जोड़े मेंचां द से बाबा

फलक से जमीन पर  एक चब्बी आ गई  है ।।


बाबा का दरबार सुहाना लगता है

भक्तों का तो दिल दीवाना लगता है 

यह सुंदर श्रृंगार सुहाना लगता है भक्तों का तो दिल दीवाना लगता है

ज्यादा मत देखो नजर लग जाएगी यह कीर्तन की रात दोबारा आएगी

यह सुंदर श्रृंगार सुहाना लगता है भक्तों का तो दिल दीवाना लगता हैं ।। टेर।।

हजारों बार देखा है हजारों बार सजते हो

 मगर क्या बात है मोहन गजब के आज दिखते हो

यह सुंदर श्रृंगार सुहाना लगता है 

भक्तों का तो दिल दीवाना लगता हैं ।।1।।


 अगर हम दूर से देखे कन्हैया पास लगते हो 

अगर नजदीक से देखें बड़े ही खास लगते हो

यह तेरा अंदाज पुराना लगता है

 भक्तों का तो दिल दीवाना लगता है।।2।।

नजारा देख कर मुझको कोई अपना सा लगता है नया चेहरा तेरा कान्हा कोई अपना सा लगता है 

बदलेगा जल्दी जमाना लगता है 

भक्तों का तो दिल दीवाना लगता है

यह सुंदर श्रृंगार सुहाना लगता है

 भक्तों का तो दिल दीवाना लगता हैं।।3।।


बुधवार, 5 मार्च 2025

Love You Sanwariya || Lakhbir Singh Lakha |

 




फिर से फागण आया रे मन तू चल श्याम के द्वार ।

छोड़ दुनिया के सारे झमेले बस कर ले श्याम से प्यार ।।

मेरे सांवरिया सवरिया प्यारे सांवरिया सांवरिया-2

शाम का जब से प्यार मिला मुझे, श्याम का जब से प्यार मिला है मन बोले हो बावरिया आई लव यू सांवरिया सांवरिया लव यू सांवरिया सांवरिया लव यू सावरिया सांवरिया ।। टेरा।।

मन मेरा बोले मन मेरा बोले मन मेरा बोले लव यू सांवरिया

मुझको उलझा के रखा अपनी बात से होश आया  दिल गया जब हाथ से - 2

अरे ओ  ओ खाटू वाले ओ खाटू वाले 

मेरे जीवन का मेरे बाबा तू ही है बस जरिया आई लव यू सांवरिया I love you लव यू सांवरिया आई लव यू ।।1।।

श्याम मेरे श्याम,श्याम मेरे श्याम

रंग भाये मुझे ना संसार के, हम हैं प्यासे कन्हैया तेरे प्यार के,

अरे ओ ओ लीले वाले खाटू वाले, खाटू वाले लीले वाले

जब से तुमसे नैन लड़े मेरा बदल गया नजरिया बाबा आई लव यू सांवरिया सांवरिया ।।2।।

मुझको राधा कहो या मुझे मीरा, मैं अंगूठी हूं जिसका तू है हीरा,

कान्हा रे कान्हा, कान्हा रे कान्हा

बाबा लख्खा भजके श्याम बेधड़क, गावे हर नगरिया आई लव यू सांवरिया सांवरिया लव यू सांवरिया सांवरिया ।।3।।

सोमवार, 3 मार्च 2025

teen baten Hamesha Yad rakhen

 teen baten Hamesha Yad rakhen

 बातें हमेशा याद रखें

• तीन चीजें किसी का इंतजार नहीं करती।

समय, मौत और ग्राहक ।


• तीन चीजें जीवन में एक बार मिलती हैं।

मां, बाप और जवानी ।


• तीन चीजें निकलने पर वापस नहीं आती।

तीर कमान से, बात जबान से और प्राण शरीर से ।



• तीन चीजें परदे योग्य हैं।

धन, स्त्री और भोजन ।



• तीन चीजों से बचने की कोशिश करनी चाहिये । बुरी संगत, स्वार्थ और निंदा ।


• तीन चीजों में मन लगाने से उन्नति होती है। - ईश्वर, मेहनत और विद्या ।



• तीन चीजें याद रखनी जरूरी है। -

सच्चाई, कर्तव्य और मौत । 


• इन तीनों का सम्मान करो

माता, पिता और गुरु ।



• तीन को हमेशा बस में रखो।

- मन, काम और लोभ ।



• तीन चीजें जिन्हें कोई नहीं चुरा सकता।

- विद्या, चरित्र, हुनर ।


• तीन का भरोसा मत करो।

काया का, माया का, छाया का ।



• तीन चीजें भाई को भाई का दुश्मन बना देती है। - जर, जमीन, जोरू


teen baten Hamesha Yad rakhen

शनिवार, 1 मार्च 2025

Hindi kahani दो दोस्तों की कहानी कहानी मेहनत की और लालच की

 




Hindi kahani दो दोस्तों की कहानी कहानी मेहनत की और लालच की

परिचय

एक छोटे से गाँव में, राम और श्याम नाम के दो दोस्त रहते थे। राम बहुत ही मेहनती और ईमानदार था, जबकि श्याम थोड़ा आलसी और चालाक। दोनों की दोस्ती बचपन से थी, लेकिन उनके स्वभाव में जमीन-आसमान का अंतर था। एक दिन, गाँव में एक प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें सबसे अच्छा काम करने वाले को इनाम दिया जाना था। राम ने मेहनत से काम किया, जबकि श्याम ने चालाकी से काम निकालने की कोशिश की। इस कहानी के माध्यम से हमें यह सीख मिलती है कि मेहनत और ईमानदारी हमेशा फल देती है।


 Hindi kahani दो दोस्तों की कहानी कहानी मेहनत की और लालच की


### h1: प्रतियोगिता की घोषणा


एक दिन, गाँव के सरपंच ने घोषणा की कि अगले सप्ताह एक प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। इस प्रतियोगिता में गाँव के सभी युवाओं को भाग लेना था। प्रतियोगिता का विषय था "सबसे उपयोगी और सुंदर वस्तु बनाना"। जो भी इस प्रतियोगिता में जीतेगा, उसे गाँव की तरफ से एक बड़ा इनाम दिया जाएगा।


राम और श्याम दोनों ने इस प्रतियोगिता में भाग लेने का फैसला किया। राम ने सोचा कि वह अपने हाथों से कुछ ऐसा बनाएगा जो गाँव के लिए उपयोगी हो। उसने लकड़ी से एक सुंदर और मजबूत बेंच बनाने का निर्णय लिया। दूसरी ओर, श्याम ने सोचा कि वह कुछ ऐसा बनाएगा जो दिखने में सुंदर हो, चाहे वह उपयोगी हो या न हो। उसने कागज से एक सुंदर फूलदान बनाने का निर्णय लिया।

राम की मेहनत


राम ने अपने काम में जुट गया। वह रोज सुबह उठकर जंगल जाता और अच्छी लकड़ी ढूंढता। फिर वह उसे घर लाकर, उस पर मेहनत से काम करता। वह चाहता था कि उसकी बेंच न केवल सुंदर हो, बल्कि मजबूत और टिकाऊ भी हो। उसने बेंच को इस तरह से डिजाइन किया कि वह गाँव के बुजुर्गों के लिए आरामदायक हो। राम की मेहनत और लगन देखकर गाँव के लोग उसकी तारीफ करते।


 श्याम की चालाकी


दूसरी ओर, श्याम ने अपने काम में चालाकी दिखाई। उसने सोचा कि क्यों इतनी मेहनत करें, जब कम मेहनत में भी काम चल सकता है। उसने कागज से एक सुंदर फूलदान बनाया, जो दिखने में तो आकर्षक था, लेकिन उपयोग में नहीं आ सकता था। श्याम ने सोचा कि चूंकि प्रतियोगिता में सुंदरता का मूल्यांकन होगा, इसलिए उसका फूलदान जीत जाएगा। उसने अपने फूलदान को रंग-बिरंगे कागज से सजाया और उसे आकर्षक बनाने की पूरी कोशिश की।

राम की बेंच लकड़ी से बनी थी, जो मजबूत और टिकाऊ थी। उसने बेंच को इस तरह से डिजाइन किया था कि वह न केवल सुंदर दिखे, बल्कि उपयोग में भी आसान हो। बेंच की सीट और पीठ को आरामदायक बनाने के लिए उसने उसे थोड़ा घुमावदार बनाया था। बेंच के पैरों को मजबूत बनाने के लिए उसने उन्हें थोड़ा मोटा रखा था।


श्याम का फूलदान कागज से बना था, जो दिखने में तो सुंदर था, लेकिन उपयोग में नहीं आ सकता था। उसने फूलदान को रंग-बिरंगे कागज से सजाया था और उसके ऊपर चमकीले रंगों का उपयोग किया था। फूलदान का आकार सुंदर था, लेकिन वह पानी नहीं रोक सकता था, इसलिए उसमें फूल रखना संभव नहीं था।


निष्कर्ष


प्रतियोगिता के दिन, गाँव के सभी लोग इकट्ठा हुए। राम ने अपनी बेंच प्रस्तुत की, जो न केवल सुंदर थी, बल्कि उपयोगी भी थी। श्याम ने अपना फूलदान प्रस्तुत किया, जो दिखने में तो आकर्षक था, लेकिन उपयोग में नहीं आ सकता था। जजों ने दोनों की वस्तुओं का मूल्यांकन किया और राम की बेंच को विजेता घोषित किया।


इस प्रतियोगिता से राम और श्याम दोनों को एक महत्वपूर्ण सीख मिली। राम को यह सीख मिली कि मेहनत और ईमानदारी हमेशा फल देती है। श्याम को यह सीख मिली कि चालाकी से काम नहीं चलता, बल्कि मेहनत और ईमानदारी से काम करना चाहिए। दोनों दोस्तों ने इस घटना के बाद अपने जीवन में मेहनत और ईमानदारी को अपनाया और आगे बढ़े।


 सीख


इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि मेहनत और ईमानदारी हमेशा फल देती है। चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं, अगर हम मेहनत और ईमानदारी से काम करें, तो हमें सफलता जरूर मिलती है। चालाकी और आलस से कभी भी सही नतीजे नहीं मिलते। इसलिए, हमेशा मेहनत और ईमानदारी के रास्ते पर चलना चाहिए।

Hindi kahani दो दोस्तों की कहानी कहानी मेहनत की और लालच की यह कहानी आपको कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएं ।


गुरुवार, 27 फ़रवरी 2025

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Mere Banke Bihari Lal lyrics

Mere Banke Bihari Lal lyrics

मंगलवार, 25 फ़रवरी 2025

Shiva Shiva Shankara | Sonu Nigam | Shreyas P | Ashutosh A | Mahashivratri 2025

 



मैं धुन्द धुएं के पार कही वृत्त अंत हीन सी  आशा हु जो सबसे सुंदर काव्य रचे मैं ऐसी अनुपम भाषा हु 


ओम नमः शिवाय 

जब सृष्टि नहीं  तब कौन यहां 

तब किसने यह संसार रचा

जब अंतरिक्ष में खुलकर सारी 

दृष्टि छिपी तब कौन दिखा

जो सबसे पहले आया है जो अमिट सदा रह जाएगा शिवा शिवा शंकरारे शिवा शिवा शीवा शिवा शंकरारे शिवा शिवा ।

जो अविरत बहता आज यहां 

कल और कहीं बह जाएगा

मैं उसे सामने पाता हूं 

वह रूप धरे भी आता है 

मैं जब भी प्रश्नों से घिरता वह धीमें से मुस्काता है 

मैं उसे सोच भर सकता हूं वह तब विचार बन जाता है शिवा शिवा शंकरारे शिवा शिवा शीवा शिवा शंकरारे शिवा शिवा 

वह दो छोरो का अंत कहीं 

वह सबको यहा मिलाता हैं 

वह सत साधना मैं डूबा और सुंदरतम कहलाता है 

जो जैसा है स्वीकार किया हर  परित्यक्त को अपनाया जो ध्यान धर्य पर्याय बना जो संयम धरे मन काया  कब शब्दों मैं ढल जाता है कब मौन उत्तर बन आता है शिवा शिवा शंकरारे शिवा शिवा शीवा शिवा शंकरारे शिवा शिवा ।

मैं कर्मों के गति और फल हुं 

मैं फिर भी हूं निस काम यहां

 मैं निराकार में निर्विकल्प

में परब्रह्म का नाम यहां

मैं सब अधरों की मृदुल हसी

मैं हर धड़कन का गीत यहां 

 तुम मानो तो मैं श्रद्धा हु ना मानो फिर भी मीत यहां इस जीवन के भी बाद तुम्हें मैं और कहीं ले जाऊंगा मैं मृत्यु नहीं मै स्वयं पति तो मैं साथ-साथ बढ़ जाऊंगा शिवा शिवा शंकरारे शिवा शिवा शीवा शिवा शंकरारे शिवा शिवा ओम नमः शिवाय ।