बंशी बंजा के किधर गया रे, मोरे बाँके साँवरिया
मुरली बजा के किधर गया रे, मोरे बाँके साँवरिया
जब से सुनी है तेरी बैरन मुरलिया
दिन नहीं चैन मुझे रात नहीं निंदिया
जाने क्या जादू कर गयो रे, मोरे बाँके साँवरिया।
बैरन हो गई रात की निंदियाँ
भूल सकूँ ना श्याम तेरी सुरतिया
याद करेजवा में कर गयो रे, मोरे बाँके साँवरिया।
तेरे मिलन को जियरा तरसे
नैना मोरे ज्यूँ सावन बरसे
बरस बरस घर भर गयो रे, मोरे बाँके साँवरिया।
अरविन्द जी कहे मत तरसाओ
भोले साँवरिया दरश दिखाओ
काहे को भूल बिसर गयो रे, मोरे बाँके साँवरिया।
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