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भजन देख कर सिंगार दादी मैं ठगा सा रह गया

 

देख कर शिंगार दादी मैं ठगा सा रह गया, मैं ठगा सा रह गया ॥

सो सका न रात भर मैं ठगा सा रह गया,
हाथो में मेहँदी रची है पावो में पायल बजी, देख कर हाथो की लाली मैं ठगा सा रह गया, देख कर शिंगार दादी......
माथे पर चुनरी सजी है गोटे तारो से जड्ड, देख कर चुनरी सुरंगी, मैं ठगा सा रह गया, देख कर शिंगार दादी......
फूलो के गजरे सुहाने हर तरफ खुशबु उड़े, देख कर दरबार दादी, मैं ठगा सा रह गया, देख कर शिंगार दादी......
हर्ष दुल्हन सी बनी है पीडी पर बेठी है माँ, देख कर ममता की मूरत, मैं ठगा सा रह गया, देख कर शिंगार दादी......

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