ओम शिव ओम शिव रटता जा
ॐ शिव ॐ शिव ॐ शिव ॐ शिव ॐ शिव रटता जा । नमः शिवाय नमः शिवाय, नमः शिवाय रटता जा |
शिव शंकर कैलाशपाती है
अंग बवभुति रमाते है।
जटाजूत में गंग बिराजै,
गंगाधर को रटता जा ।
भांग धतुरा भोग लागत है,
गले सर्पों की माला रे ।
नदी की असवारी सोहे
नन्दीश्क्षर को रटता जा |
भष्मासुरको भन्म कराया,
"लील अपरम्पार तेरी ।
मोहिनी रूप धारय विष्णु ने लीलघर को रहता जा
सुंदर मंडल थारी महिम गावे
गाव नर ओं नारी रे
एस दिनदयाल मेरे दाता
भूतनाथ को रहता जा ।
नमः शिवायु ॐ शिव ॐ शिव
शिव ॐ शिव ॐ शिव रटता जा
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