गणेश जी की कहानी
षटक गणेश
Ganesh ji ki kahani,
एक तालाब में एक मेंढक और मेंढकी रहते थे ।
मेंढकी गणेश जी की बहुत बड़ी भक्त थी, हमेशा संकट विनायक सकट विनायक जपती रहती थी, यही बात मेंढक को पसंद नहीं थी क्योंकि वह अपनी पत्नी के मुख से दूसरे पुरुष का नाम पसंद नहीं करता था ।
एक दिन मेंढक और मेंढकी किसी तालाब में आपस में बात कर ही रहे थे कि अचानक से किसी ने उनको पानी के साथ में घड़े में भर लिया और उस व्यक्ति ने उस पानी के घड़े को आग पर चढ़ा दिया ।
अब मेंढक और मेंढकी को आग की तपन से जीना मुश्किल सा जान पड़ रहा था उसी समय मेंढक को उसकी मेंढकी का मंत्र याद आया उसने कहां अब अपने उस मंत्र का जाप करो और हमारे प्राण बचाओ यदि सही में तुम्हारे गणेश जी सच्चे हैं तो जान बच जाएगी ।
मेंढकी ने भी गणेश जी के मंत्र का जाप शुरू कर दिया, दोनों ने विश्वास के साथ गणेश जी को पुकारा उसी समय दो सांड आपस में लड़ते हुए वहां आए और उस घड़े को गिरा दिया ।
घड़े के गिरते ही उसी समय मेंढक और मेंढकी वहां से भाग गए और उनकी जान बच गई , इस प्रकार मेंढकी की श्री गणेश जी पर विश्वास आस्था रंग लाई और गणेश जी की कृपा से जान बची ।
Ganesh ji ki kahani,
इस कहानी से यह सीख मिलती है की विश्वास और आस्था की भगवान हमेशा लाज रख लेते हैं और भगवान स्वयं नहीं आते तो क्या हुआ अपने भक्तों के लिए किसी भी प्रकार से अनुकूल परिस्थितियां बना देते हैं ।
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Jai ganesh
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