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गणेश जी की कहानी ganesh ji ki kahani

 

गणेश जी की कहानी

गणेश जी की कहानी

गणेश जी की कहानी


गजानंद जी की कहानी

एक बार श्री गणेश जी पृथ्वी लोक पर भ्रमण करते हुए किसी के खेत में से अनाज के 12 दाने चख लेते हैं।

गणेश जी को मन में विचार आता है कि हमने इस खेत से जो दाने ले लिए हैं इस व्यक्ति के हम कर्जदार हो गए अतः हमें उसकी सेवा करनी चाहिए

खेत किसी सेठ का था गणेश जी सेठ के दानों का ऋण चुकाने के लिए वहां पर नौकर बनकर रह गए ।

श्री गणेश जी 12 दानो के लिये सेठ जी के नौकर बन गए, 1 दिन सेठानी शौच जाकर राख से हाथ धोने लग गई तब गणेश जी ने उसके हाथ से राख छीन ली और मिट्टी से हाथ धुलवा दीये ।

तब सेठानी बहुत नाराज हुई और सेठ जी से जाकर बोली कि इस लड़के ने मेरा हाथ मरोड़ दिया आपने यह कैसा नौकर रखा है सेठानी को गुस्से में देखकर सेठ जी ने गणेश को बुलाया और कारण पूछा तो गणेश जी बोले सेठानी जी राख से हाथ धो रही थी जिससे रिद्धि सिद्धि चली जाती है जबकि मिट्टी से हाथ धोने से घर में रिद्धि-सिद्धि का वास होता है मैंने तो यह सीख दी है तब सेठ जी ने सोचा गणेश है तो बहुत समझदार ।

थोड़े दिन बाद कुंभ का मेला आया तब सेठ जी ने गणेश को बुलाकर कहा कि अपने सेठानी के साथ में चले जाओ और इनको कुंभ नहला कर लेकर आओ। गणेश सेठानी के साथ चला गया वहां पर सेठानी एक किनारे पर बैठकर नहाने लगे तब गणेश उनको पानी के भीतर लेकर नहला कर ले आया अर्थात डुबकी लगा कर ले आया तब सेठानी बहुत नाराज हुई और घर पर आकर सेठ जी से बोली आज तो गणेश ने मेरी इज्जत ही ले ली सब लोगों के सामने मुझे गठित कर अंदर ले गया और पानी में नहीं लाया तब सेठ जी ने गणेश को पूछा तो गणेश बोला कि किनारे पर लोगों के नहाए हुए पानी में नहाने से उत्तम फल नहीं मिलता इसलिए भीतर जाकर नहाने से अगले जन्म में राजपाट मिलेगा यही सोच कर मैंने इनको नहीं लाया तब सेठ जी ने सोचा गणेश है तो समझदार।


1 दिन सेठ जी हवन में बैठे हुए थे तो गणेश से बोले कि जाकर सेठानी को बुला कर लिया तब गणेश गया तो देखता है कि सेठानी ने काला ब्लाउज पहना हुआ है गणेश ने उसको फाड़ दिया तब सेठानी रूथ कर सो गई, हवन में नहीं गई तो सेठ जी बुलाने के लिए खुदा आए तब सेठानी बोली इस नौकर गणेश ने मेरा ब्लाउज काट दिया तब सेठ जी को बहुत गुस्सा आया गणेश को बुलाया तो गणेश ने बताया की सेठानी काला ब्लाउज पहन कर आ रही थी जोकि पूजा में ठीक नहीं है मैंने उनको कहा था कि लाल ब्लाउज पहन कर आओ पूजा में काले कलर के कपड़े नहीं पहनने चाहिए । सेठ जी शुभकाम में काला कपडा पहनने से काम सफल नहीं होता है। सेठ जी ने फिर सोचा कि गणेश है तो समझदार।

एक दिन सेठ जी पूजा करने लगे तब पंडित जी ने कहा कि मैं गणेश जी की मूर्ति लाना भूल गया तब गणेश बोला मुझे ही मूर्ति समझकर बिठा लीजिए तुम्हारा सब काम सफल हो जाएगा तब सेठ जी को बहुत गुस्सा आ गया और बोले अब तक तो सेठानी से मजाक करता था अब मुझसे भी करने लग गया तब गणेश जी बोले की मजाक नहीं कर रहा हूं सच्ची बात कर रहा हूं ।

तब श्री गणेश जी ने अपना स्वरूप दिखाया और उस सेठ सेठानी जी ने सदेही श्री गणेश जी की पूजा की और पूजा खत्म होते ही भगवान श्री गणेश अंतर्ध्यान हो गए ।

सेठ जी को बहुत चिंता हुई कि हमने श्रीगणेश को इतने दिन तक नौकर बनाकर रखा और भला बुरा कहा तब भगवान श्री गणेश जी ने उनको सपने में दर्शन देकर थे कि मैंने आप के खेत से 12 दाने ले लिए थे उनका ऋण चुकाने के लिए मैं आपके यहां नौकर बन कर रहा अतः आप चिंता ना करें ।

इस प्रकार गणेश जी ने अपना भूल से किया हुआ कर्म का भी पश्चाताप किया और ऋण चुकाया उसी प्रकार हम सबको भी अपने सभी कर्ज चुकाने चाहिए।

गणेश जी का कर्ज 

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