गुरुवार, 31 मार्च 2022
सोमवार, 21 मार्च 2022
रूद्राष्टक / rudrashtak lyrics
नमामि शमीशान निर्वाण रूपम, विभूम व्यापकम ब्रह्म वेद स्वरूपम ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम् ॥1।।
निराकार मोंकार मूलं तुरीयं, गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकाल कालं कृपालुं, गुणागार संसार पारं नतोऽहम् ॥2।।
तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं, मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥3।।
चलत्कुण्डलं भ्रू नेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं, प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥4।।
प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम् ।
त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम् ॥5।।
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी, सदा सज्जनानन्द दाता पुरारी।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥6।।
न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं, प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं ॥7।।
न जानामि योगं जपं नैव पूजां, न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम् ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं, प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो ॥8।।
रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये
ये पठन्ति नरा भक्तयां तेषां शंभो प्रसीदति।।
॥ इति श्रीगोस्वामितुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं सम्पूर्णम् ॥
जन्म जन्मांतर के पापों का नाश करने के लिए यह भगवान शिव का अमोघ रुद्राष्टक पाठ बहुत ही लाभदायक है ।
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शनिवार, 19 मार्च 2022
जय जगदीश हरे आरती
जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे ।।टेर।।
जो ध्यावे फल पावे, दुख बिनसे मन का
सुख संपति घर आवे, कष्ट मिटे तन का ।।1।।
मात पिता तुम मेरे, शरण पडू मैं किसकी,
तुम बिन और न दूजा आस करूं जिसकी ।।2।।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतर्यामी
पारब्रह्म परमेश्वर तुम सबके स्वामी ।।3।।
तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता
मैं मूर्ख खल कामी, कृपा करो भरता ।।4।।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राण पति
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमती ।।5।।
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे
अपने हाथ बढ़ाओ, द्वार खड़ा तेरे ।।6।।
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा ।।7।।
तन मन धन सब अर्पण, सब कुछ है तेरा
तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा ।।8।।
परम ब्रह्म की आरती, जो कोई नर गावे
कहत शिवानंद स्वामी, सुख संपति पावे ।।9।।
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गुरुवार, 17 मार्च 2022
गुण मिलान कैसे करें ?
विश्व के अधिकांश लोगों के बच्चों के विवाह योग्य होने पर आने वाले विवाह प्रस्ताव के बाद एक ही विचार मन में आता है कि गुण मिलान कैसे करें ?
इसी प्रश्न को हल करने के लिए वैदिक रीति से पंचांग के आधार पर हमने इस ब्लॉग में विवाह के लिए गुण मिलान की सारणी का क्रमबद्ध और सरल विवरण दिया है जोकि वर वधू का गुण मिलान करने के लिए बहुत ही उपयोगी रहेगा ।
आइए अब जानते हैं इस ब्लॉग का गुण मिलान के लिए उपयोग कैसे करें ?
1 सर्व प्रथम श्रेणी में दिए गए होम(Home) बटन को चुनकर ब्लॉग के होम पेज पर आ जाएं ।
2 इसके उपरांत गुण मिलान शुरू करें इस बटन का चयन करें ।
3 इस पेज पर आप कन्या के नक्षत्र का चयन करें जैसे ही आप कन्या के नक्षत्र पर क्लिक करेंगे तो नया पेज खुलेगा ।
4 इस पेज पर वर के नक्षत्र लिखे हुए हैं जिनमें से आपको अपना वर का नक्षत्र चयन करना है और उसी के नीचे गुण और दोष लिखे हुए हैं यदि दोष हैं तो0 1 2 3 4 5 6के द्वारा बताए गए हैं जिसका संपूर्ण विवरण गुण दोष श्रेणी में दिया गया है ।
प्रस्तुत किए गए गुण दोष का विवरण वैदिक ज्योतिष के अनुसार पंचांग के द्वारा लिखा गया है, जिसका उपयोग सर्व साधारण व्यक्ति कर सकते हैं ।
यदि आपके पास वर वधु का सही जन्म विवरण है तो जन्म कुंडली में चंद्रमा के नक्षत्र के अनुसार गुण मिलान करें और जन्म विवरण नही प्राप्त हो तो नाम के अक्षर के अनुसार गुण मिलान जरूर करें ।
पर्याप्त गुण मिलने पर यदि दोष ना हो तो विवाह के लिए आगे बढ़े यदि कोई दोष हो तो ज्योतिष आचार्य से परामर्श जरूर ले ।
बुधवार, 16 मार्च 2022
कुंडली मिलान में गुण और दोष
गुण मिलान सारणी में दिए गए गुण और दोष वर और वधू के नक्षत्र के अनुसार बताया गया है जिसमें प्राप्त गुण न्यूनतम 18 होने चाहिए ।
वधु के नक्षत्र के अनुसार वर के नक्षत्र को पहले ढूंढ ले उसके उपरांत नक्षत्र के नीचे अक्षर, प्राप्त गुण तथा उसके नीचे दोष यदि हो तो बताए गए हैं ।
बनने वाले दोष को 0 1 2 3 4 5 6 -+ के द्वारा दर्शाया गया है जिनका अर्थ इस प्रकार हैं~~~~~
नुदूर दोष के लिए 0 (वर्ग के नक्षत्र से पहले वधू का नक्षत्र)
गुण दोष के लिए 1
वैर योनि के लिए 2
नाड़ी दोष के लिए 3
द्वी द्वादश के लिए 4
नव पंचम के लिए 5
भूकुट दोष षडाष्टक योग के लिए 6
यदि कोई दोष नहीं है तो जगह खाली है
शास्त्र के अनुसार किसी भी दोष का समाधान बनने पर
+- दर्शाया गया है ।
राशि स्वामी की मित्रताके आधार पर भूकुट आदि दोष का समाधान माना गया है ।
कन्या का नक्षत्र चित्रा कन्या के अनुसार गुण
कन्या का नक्षत्र चित्रा कन्या के अनुसार गुण | |||||
राशि | मेष | राशि | मेष | राशि | मेष |
नक्षत्र | अश्विनी | नक्षत्र | भरणी | नक्षत्र | कृतिका |
अक्षर | चु,चे, चो,ला | अक्षर | ली,लू,ले,लो | अक्षर | अ |
गुण | 13 | गुण | 5 | गुण | 19 |
दोष | 6 | दोष | 1/3/6/ | दोष | 6 |
राशि | वृषभ | राशि | वृषभ | राशि | वृषभ |
नक्षत्र | कृतिका | नक्षत्र | रोहिणी | नक्षत्र | मृगशिरा |
अक्षर | ई,उ,ए | अक्षर | ओ,वा, वी, वु | अक्षर | वे,वो |
गुण | 23.5 | गुण | 20 | गुण | 12 |
दोष | .+5 | दोष | 1/5 | दोष | 3/5 |
राशि | मिथुन | राशि | मिथुन | राशि | मिथुन |
नक्षत्र | मृगशिरा | नक्षत्र | आद्रा | नक्षत्र | पुनर्वसु |
अक्षर | क, की | अक्षर | कु,घ,ङ, छ | अक्षर | के, को,ह |
गुण | 19 | गुण | 27 | गुण | 25.5 |
दोष | 3 | दोष | 1 | दोष | |
राशि | कर्क | राशि | कर्क | राशि | कर्क |
नक्षत्र | पुनर्वसु | नक्षत्र | पुष्य | नक्षत्र | आश्लेषा |
अक्षर | ही | अक्षर | हु,हे, हो,डा | अक्षर | डी, डु, डे, डो |
गुण | 21 | गुण | 12 | गुण | 27 |
दोष | दोष | 3 | दोष | ||
राशि | सिंह | राशि | सिंह | राशि | सिंह |
नक्षत्र | मघा | नक्षत्र | पूर्वाफाल्गुनी | नक्षत्र | उत्तराफाल्गुनी |
अक्षर | मा, मी, मु,में | अक्षर | मो,टा, टी,टू | अक्षर | टे |
गुण | 22.5 | गुण | 8.5 | गुण | 14.5 |
दोष | 4 | दोष | 1/3/4/ | दोष | 1/2/4/ |
राशि | कन्या | राशि | कन्या | राशि | कन्या |
नक्षत्र | उत्तराफाल्गुनी | नक्षत्र | हस्त | नक्षत्र | चित्रा |
अक्षर | टो, प,पी | अक्षर | पु,ष, ण, ठ | अक्षर | पे,पो |
गुण | 24.5 | गुण | 27 | गुण | 28 |
दोष | 1/2 | दोष | दोष | 3 | |
राशि | तुला | राशि | तुला | राशि | तुला |
नक्षत्र | चित्रा | नक्षत्र | स्वाती | नक्षत्र | विशाखा |
अक्षर | रा, री | अक्षर | रु, रे,रो,ता | अक्षर | ती, तू,ते |
गुण | 20 | गुण | 19 | गुण | 26.5 |
दोष | 3/4 | दोष | 0/4 | दोष | .+4 |
राशि | वृश्चिक | राशि | वृश्चिक | राशि | वृश्चिक |
नक्षत्र | विशाखा | नक्षत्र | अनुराधा | नक्षत्र | ज्येष्ठा |
अक्षर | तो | अक्षर | ना, नी, नु, ने | अक्षर | नो, या,यी, यू |
गुण | 28 | गुण | 11 | गुण | 25 |
दोष | दोष | 3 | दोष | ||
राशि | धनु | राशि | धनु | राशि | धनु |
नक्षत्र | मूल | नक्षत्र | पूर्वाषाढ़ा | नक्षत्र | उत्तराषाढ़ा |
अक्षर | ये, यो,भ,भी | अक्षर | भू, ध,फ़,ढ | अक्षर | भे |
गुण | 28 | गुण | 14 | गुण | 22 |
दोष | दोष | 1/3 | दोष | 1 | |
राशि | मकर | राशि | मकर | राशि | मकर |
नक्षत्र | उत्तराषाढ़ा | नक्षत्र | श्रवण | नक्षत्र | धनिष्ठा |
अक्षर | भो,जा, जी | अक्षर | खि, खु, खे, खो | अक्षर | ग, गी |
गुण | 17 | गुण | 18.5 | गुण | 15.5 |
दोष | 1/5 | दोष | .+5 | दोष | 3/5 |
राशि | कुम्भ | राशि | कुम्भ | राशि | कुम्भ |
नक्षत्र | धनिष्ठा | नक्षत्र | शतभिषा | नक्षत्र | पूर्वाभाद्रपद |
अक्षर | गु,गे | अक्षर | गो,सा, सी,सु | अक्षर | से,सो,द |
गुण | 16 | गुण | 24 | गुण | 16.5 |
दोष | 3/6 | दोष | -6 | दोष | 1/6 |
राशि | मीन | राशि | मीन | राशि | मीन |
नक्षत्र | पूर्वाभाद्रपद | नक्षत्र | उत्तराभाद्रपद | नक्षत्र | रेवती |
अक्षर | दी | अक्षर | ढु,थ,झ, | अक्षर | दे,दो,चा, ची |
गुण | 19.5 | गुण | 10.5 | गुण | 19.5 |
दोष | 1 | दोष | 1/3/2/ | दोष | |
दोष की संपूर्ण जानकारी गुण दोष श्रेणी में देखें | |||||