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विष्णु स्तोत्र, श्रीविष्णोरष्टाविंशतिनामस्तोत्रम् ,vishnu stotra

                 विष्णु स्तोत्र

              श्रीविष्णोरष्टाविंशतिनामस्तोत्रम्

                    भगवान विष्णु के 28 नाम

विष्णु स्तोत्र,vishnu stotra,




                  अर्जुन उवाच
किं नु नाम सहस्राणि जपते च पुनः पुनः ।
यानि नामानि दिव्यानि तानि चाचक्ष्व केशव ॥१॥
अर्जुनने पूछा-केशव ! मनुष्य बारंवार एक हजार नामों का जप क्यों करता है?
 आपके जी दिव्य नाम हो, उनका वर्णन कीजिये ॥१॥


श्रीभगवानुशच
मत्स्यं कूर्म वराहं च वामनं च जनार्दनम् ।
गोविन्दं पुण्डरीकाक्षं माधवं मधुसूदनम् ॥ २ ॥

श्रीभगवान् बोले-~अर्जुन ! मत्स्य, कूर्म, वाराह, वामन, जनार्दन, गोविन्द, पुण्डरीकाक्ष, माधव, मधुमूदन।।2।।


पद्मनाभं सहस्राक्षं वनमालिं हलायुधम् ।
गोवर्धनं हपीकेशं वैकुण्ठं पुरुषोत्तमम् ॥३॥


पद्मनाभ, सहस्त्राक्ष, बनमाली,हलायुध, 
गोवर्धन, ऋषिकेश वैकुण्ठ, पुरुषोत्तमः।।3।।



विश्वरूपं वासुदेवं रामं नारायणं हरिम् ।
दामोदरं श्रीधरं च वेदाङ्गं गरुडध्वजम् ॥ ४ ॥

विश्वरूप, वासुदेव, राम, नारायण, हरि 
दामोदर, श्रीधर ,वेदाङ्ग, गरुडध्वजा ।।4।।



अनन्तं कृष्णगोपालं जपतो नास्ति पातकम् ।
गवां कोटिप्रदानस्स अश्वमेधशतस्य च ॥५॥

अनन्त और कृष्णगोपाल-इन नामोंका जप करनेवाले मनुष्यके भीतर पाप नहीं रहता । एक करोड़ गोदान एक सौ अश्वमेध यज्ञ तथा ।।5।।


कन्यादानसहस्राणां फलं प्राप्नोति मानवः ।
अमायां वा पौर्णमास्यामेकादश्यां तथैव च ॥६॥
एक हजार कन्यादान का फल प्राप्त मानव करता है अमावस्या. पूर्णिमा तथा एकादशी तिथिको और।।6।।


सन्ध्याकाले स्मरेन्नित्यं प्रातः काले तथैव च ।
मध्याह्ने च जपन्नित्यं सर्वपापैः प्रमुच्यते ॥७॥

प्रतिदिन सायं प्रातः एवं मध्याह्नके समय इन नामों-
का जप करनेवाला पुरुष सम्पूर्ण पापोंसे मुक्त हो जाता है ।।7।।


इति श्रीकृष्णार्जुनसंवादे श्रीविष्णोरष्टाविंशतिनामस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।।


 श्री कृष्ण अर्जुन संवाद में श्री विष्णु के 28 नाम का स्तोत्र संपूर्ण हुआ










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