गुरुवार, 25 मार्च 2021
शनिवार, 20 मार्च 2021
हनुमान जी और व्यापार || hanuman ji aur vyapar
हनुमान जी और व्यापार
शुक्रवार, 19 मार्च 2021
गणेश अष्टक ।। Ganesh Ashtakam
सर्वे ऊचुः
यतोऽनन्तशक्तैरनन्ताश्च जीवा
यतो निर्गुणादप्रमे या गुणास्ते ।
यतो भाति संर्व त्रिधा भेदभिन्न
सदा तं गणेशं नमामो भजामः।।१।।
सब भक्तों ने कहा
जिस अनन्त शक्तिवाले परमेश्वर से अनन्त
जीव प्रकट हुए हैं, जिन निर्गुण परमात्मा से
अप्रमेय (असंख्य) गुणों की उत्पत्ति हुई हैं,
सात्विक, राजस और तामस- इन तीन
| भेदोंवाला यह सम्पूर्ण जगत् जिससे प्रकट
एवं भासित हो रहा है, उन गणेश का हम |
नमन एवं भजन करते हैं।
यतश्चाविरासीज्जगत्सर्वमेतत्त
थाब्जासनो विश्वगो विश्वगोप्ता।
तथेन्द्रादयो देव सङ्घा मनुष्याः सदा
तं गणेशं नमामो भजामः ।।२।।
जिनसे इस समस्त जगत् का प्रादुर्भाव हुआ
है, जिनसे कमलासन ब्रह्मा, विश्वव्यापी
विश्वरक्षक विष्णु, इन्द्र आदि देव-समुदाय
और मनुष्य प्रकट हुए है, उन गणेश का हम
सदा ही नमन एवं भजन करते हैं।
यतो वाह्निभानूद्भवो भूर्जलं च यतः
सागराश्चन्द्रमा व्यो म वायुः ।
यतः स्थावरा जङ्गमा वृक्षसङ्घा:
सदा तं गणेशं नमामो भजामः ।।३।।
जिनसे अग्नि और सूर्य का प्राकट्य हुआ,
पृथ्वी, जल, समुद्र, चन्द्रमा, आकाश और
वायु का प्रादुर्भाव हुआ तथा जिससे स्थावर
जङगम और वृक्षसमूह उत्पन्न हुए हैं, उन
गणेश का हम नमन एवं भजन करते हैं।
यतो दानवाः किंनरा यक्षसङघा
यतश्चारणा वारणा: श्वापदाश्च ।
यतः पक्षिकीटा यतो वीरूधश्च
सदा तं गणेशं नमामो भजामः ।।४।।
जिनसे दानव, किंनर और यक्ष समूह प्रकट
हुए, जिनसे हाथी और हिंसक जीव उत्पन्न
हुए तथा जिनसे पक्षियों, कीटों और लताबेलों
का प्रादुर्भाव हुआ, उन गणेश का हम सदा
ही नमन और भजन करते हैं।
यतो बुद्धिरज्ञाननाशो मुमुक्षोर्यतः
सम्पदो भक्त संतोषिका: स्युः ।
यतो विघ्ननाशो यतः कार्यसिद्धिः
सदा तं गणेशं नमामो भजामः ।।५।।
जिनसे मुमुक्षुको बुद्धि प्राप्त होती है और
अज्ञान का नाश होता है, जिनसे भक्तों कों
संतोष देने वाली सम्पदाएँ प्राप्त होती हैं,
तथा जिनसे विघ्नों का नाश और समस्त
कार्यों की सिद्धि होती है, उन गणेश का
हम सदा नमन एवं भजन करते हैं।
यतः पुत्रसम्पद् यतो वाञ्छितार्थो
यतोऽभक्तविघ्नास्तथानेकरूपाः ।
यतः शोकमोहौ यतः काम एव सदा
तं गणेशं नमामो भजामः ।।६।।
जिनसे पुत्र सम्पत्ति सुलभ होती है, जिनसे
मनोवाञ्छित अर्थ सिद्ध होता है, जिनसे
अभक्तों को अनेक प्रकार के विघ्न प्राप्त
होते हैं तथा जिनसे शोक, मोह और काम
प्राप्त होते हैं, उन गणेश का हम सदा नमन
एवं भजन करते हैं।
यतोऽनन्तशक्तिः स शेषो बभूव
धराधारणेऽनेकरूपे च शक्तः ।
यतोऽनेकधा स्वर्गलोका हि नाना
सदा तं गणेशं नमामो भजामः।७।।
जिनसे अनन्त शक्तिसम्पन्न सुप्रसिद्ध शेषनाग
प्रकट हुए, जो इस पृथ्वी को धारण करने
एवं अनेक रूप ग्रहण करने में समर्थ हैं,
जिनसे अनेक प्रकार के अनेक स्वर्गलोक
प्रकट हुए हैं, उन गणेश का हम सदा ही
नमन एवं भजन करते हैं।
यतो वेदवाचो विकुण्ठा मनोभिः
सदा नेति नेतीति यत्ता गृणन्ति ।
चिदानन्दभूतं परब्रह्मरूपं
सदा तं गणेशं नमामो भजामः ।।८।।
जिनके विषय में वेदवाणी कुण्ठित हैं,
जहाँ मन की भी पहुँच नहीं है तथा श्रुति
सदा सावधान रहकर 'नेति-नेति'
इन
शब्दों द्वारा जिनका वर्णन करती है, जो
सच्चिदानन्द स्वरूप परब्रह्म हैं उन गणेश
का हम सदा ही नमन एवं भजन करते
श्री गणेश उवाच्य
पुनरू चे गणाधीशः स्तोत्रमेतत्पठेन्नरः।
त्रिसंध्यं त्रिदिनं तस्य सर्वं कार्यं भविष्यति।।
यो जपेदष्टदिवसं श्लोकाष्टकमिदं शुभम् ।
अष्टवारं चतुर्थ्यां तु सोऽष्टसिद्धीरवाप्नुयात्।।
यः पठेन्मासमात्रं तु दशवारं दिने दिने।
स मोचयेद्धन्धगतं राजवध्यं न संशयः।।
विद्याकामो लभे द्विद्यां पुत्रार्थी पुत्रमाप्नुयात्।
वाञ्छिताँल्लभते सर्वानेकविंशतिवारतः।।
यो जपेत् परया भक्त्या गजाननपरो नरः।
एवमुक्त्वा ततो देवश्चान्तर्धानं गतः प्रभुः ।।
श्री गणेश जी फिर बोले
जो मनुष्य तीन दिनों तक तीनों संध्याओं
के समय इस स्तोत्र का पाठ करेगा, उसके
सारे कार्य सिद्ध हो जायेंगे। जो आठ दिनों
तक इन आठ श्लोकों का एक बार पाठ
करेगा और चतुर्थी तिथि को आठ बार इस
स्तोत्र को पढ़ेगा, वह आठों सिद्धियों को
प्राप्त कर लेगा । जो एक मास तक प्रतिदिन
दस-दस बार इस स्तोत्र का पाठ करेगा,
वह कारागार में बँधे हुए तथा राजा के द्वारा
वध-दण्ड पाने वाले कैदी को भी छुड़ा
लेगा, इसमें संशय नहीं हैं। इस स्तोत्र का
इक्कीस बार पाठ करने से विद्यार्थी विद्याको, पुत्रार्थी पुत्र को तथा कामार्थी समस्त मनोवांच्छित कामनाओं को प्राप्त कर लेता है। जो मनुष्य परम भक्ति से इस स्तोत्र का जप करता है, वह गजानन का परम भक्त हो जाता है, ऐसा कहकर भगवान गणेश वहीं अन्तर्धान हो गये
।।इति श्रीगणेशपुराणे श्रीगणेशाष्टकं सम्पूर्णम्।।