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कर्मकांड और ज्योतिष







 आइए आज समझते हैं की पूजा पाठ और ज्योतिष का क्या संबंध है


यदि आप किसी ज्योतिषी के पास जाते हैं आपकी कोई समस्या है ज्योतिषी  आपकी जन्म पत्रिका देख कर के बताते हैं कि कौन सा ग्रह आपके लिए लाभदायक है कौन सा तकलीफदायक है किस ग्रह का दान करना है किसकी पूजा करनी है और किस ग्रह को नदी में बहा देना कुंडली में कौन-कौन से शुभ योग बन रहे हैं कुंडली में कौन-कौन से अशुभ योग बन रहे हैं ंंअशुभ योगों के लिए कौन सी पूजा पाठ करनी चाहिए
       


ज्योतिष मनुष्य मात्र  भविष्य को सफल  बनाने  के लिए है ज्योतिष में ग्रहों को बल दिया जाता है परंतु कर्मकांड आदि अनादि काल से हमारे भूत भविष्य वर्तमान के लिए सदैव उपयोगी रहा है उपयोगी रहेगा क्योंकि कर्मकांड के अंतर्गत हमारी दिनचर्या किस प्रकार होनी चाहिए किस प्रकार भजन करना चाहिए किस प्रकार भोजन करना चाहिए सभी का वर्णन है

 हमारे सभी प्रकार के कर्मों को वैदिक रीति से उज्जवल दिव्य बनाना ही कर्मकांड है


बहुत सारे लोग समझते हैं हिंदू संस्कृति के अंदर जो पूजा पाठ किया जाता है पंडित के द्वारा जो पूजा पाठ किया जाता है उसी का नाम कर्मकांड है परंतु ऐसा नहीं है हमारे जीवन में जागते जो भी कर्म करते हैं सब कर्मकांड ही है क्योंकि कोई भी समय मनुष्य कर्म नहीं  करते हुए भी कोई ना कोई कर्म करता ही है


तो आइए जानते हैं कर्मकांड अर्थात पूजा पाठ में किस प्रकार से ज्योतिष का समावेश है

ज्योतिष के अंदर सूर्य की पूजा कर्मकांड में संध्या कुमकुम आदि  सूर्य की ही पूजा है
ज्योतिष के अंदर चन्द्र कर्मकाण्ड में वरुण जल की पूजा 
ज्योतिष के अंदर  मंगल  कर्मकांड में भूमि
ज्योतिष के अंदर बुध कर्मकांड में तुलशी दूर्वा
ज्योतिष के अंदर गुरु कर्मकांड में हल्दी गुरु आदि
ज्योतिष के अंदर शुक्र कर्मकांड में श्रंगार आदि की वस्तुएं
ज्योतिष के अंदर शनि कर्मकांड में वंदना प्रार्थना साष्टांग प्रणाम
ज्योतिष के अंदर राहु कर्मकांड में अगरबत्ती धूप आदि
ज्योतिष के अंदर केतु कर्मकांड में मानसिक पूजा ध्यान आदि

इन सब बातों के अलावा हम सभी लोग जानते हैं कि पूजा कर्म के अंदर गणपति पूजा के बाद में वरुण पूजा गोरी आदि षोडशमातृका पूजा के बाद में नवग्रह पूजा जरूरी है उनके अधिदेवता प्रत्याधी देवता भी  कर्मकांड के अंदर ज्योतिष का समावेश ही है


पूजा पाठ  से ही ज्योतिष की सार्थकता है 
इस प्रकार से ज्योतिष और कर्मकांड अर्थात पूजा पाठ दोनों एक दूसरे के पूरक है

पंडित जितेंद्र सोहन लाल शर्मा


                      धन्यवाद

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