*पूजा क्या है*
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जिस प्रकार आपके घर में कोई मेहमान आ जाए उसकी मेहमानवाजी हम किस प्रकार करते हैं उसी प्रकार से भगवान का आवाहन करके उनकी पंचोपचार दशोपचार षोडशोपचार मेहमान नवाजी करना उसका नाम ही पूजा है☸☸☸☸
पंचोपचार
कोई पांच प्रकार से की जाने वाली पूजा पंचोपचार
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दशोपचार
10 चीजे भगवान को अर्पण करना🎄🎄🎄
षोडशोपचार
16 प्रकार की प्रकार से पूजा करना
जिसके अंतर्गत ध्यान आवाहन क्षमा प्रार्थना भी है
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पूजा तीन प्रकार की होती है
1👉🏻 कायिक
2👉🏻वाचिक
3👉🏻 मानसिक
1 कायिक
शरीर से की जाने वाली पूजा भगवान के किसी भी प्रतिमा पर पत्र पुष्प फल आदि जो भी अपने हाथों से चढ़ाते हैं या किसी की सेवा करते हैं वही कायिक पूजा है
2 वाचिक
जो स्तोत्र चालीसा आदि का पाठ करते हैं या भगवान का गुणगान करते हैं महिमा का वर्णन करते हैं शब्द मात्र से की जाने वाली स्तुति ही वाचिक पूजा है
3 मानसिक
मन से भगवान का स्मरण करते हुए भगवान को पत्र पुष्प आदि अर्पित करना ही मानसिक पूजा है
भगवान मेरे सामने बैठे हैं स्नान करा रहा हूं वस्त्र पहना रहा हूं खाना खिला रहा हूं दीपक दिखा रहा हूं मन में इस प्रकार की भावना करना ही मानसिक पूजा है
वास्तव में तो भगवान की तरफ एक कदम बढ़ाने का नाम पूजा है
लोग पंडितजी से सिर्फ पूजा तो कराते हैं
परन्तु उनका ध्यान नही रहता है पूजा में
जो पण्डितजी कहे वही चढ़ा देते है उसके अर्थ नही मालूम करते तो इस प्रकार के पूजा में कायिक पूजा और वाचिक पूजा तो हुई परन्तु मानसिक पूजा नही हुई जो यजमान कर रहा है वह कायिक पूजा हुई जो पंडित जी मंत्रों का उच्चारण कर रहे हैं वह वाचिक पूजा हुई मानसिक किसी भी तरीके से नहीं हुई
कायिक वाचिक मानसिक यह तीनों जब तक साथ में नहीं चलेगी तब तक उस पूजा का फल संपूर्ण तरीके से नहीं मिल सकता
तुलसी अपने ईश को रीझ भजो या खीज !
उल्टा सुलटा निपजसी ज्यो खेतों में बीज!!
भगवद प्रार्थना कभी भी निष्फल नहीं होती आज नहीं तो कल जरूरी फलदाई होगी परंतु कायिक वाचिक मानसिक इस प्रकार से की जाए तो बहुत ही बेहतर हो सकता है
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जय श्री कृष्णा
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