कबीर दास भजन
पंछीड़ा लाल आच्छी पढगो रे उल्टी पाटी,
माया का लोभी आच्छी पढगो रे उल्टी पाटी
ईश्वर ने क्यों तू भूल गयो~ 2 थारी लख चौरासी काटी ।।टेर।।
जीव जंतु ने खाय खाय कर बदन बना लियो बाटी,
अपने मतलब कारणे तू केई गर्दन काटी। ।।1।।
दूध बेचियो दही बेचीयों बेची छाछ खाटी,
माया जोड़ जमी में धर दी ऊपर लगा दी डाटि ।।2।।
आयोड़ा मेहमाना न तो घाले चूरमो बाटी,
भूखा तीसा साधुवा न घाल राबड खाटी ।।3।।
कहत कबीर सुनो भाई साधो मत कर करणी माटि,
एक दिना थाने जानू पड़ोसी यमराज की घाटी ।।4।।
Jai guru ji
जवाब देंहटाएंJai guru ji
जवाब देंहटाएंBahut badhiya
जवाब देंहटाएंBahut badhiya bhajan
जवाब देंहटाएंJay ho
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