ना स्वर है ना सरगम है ना लय ना तराना है
ना स्वर है ना सरगम है ना लय तराना है
हनुमान के चरणों में एक फूल चढ़ाना है ।।टेर।।
जब बाल समय तुम ने सूरज को निगल डाला,
अभिमानी सुरपति का सब दर्प मसल डाला,
हनुमान हुए तब से संसार ने जाना है ।।1।।
सब दुर्ग ढहा करके लंका को जलाए तुम,
सीता की खबर लाए लक्ष्मण को बचाए तुम,
प्रिय भरत सर इसे तुमको श्रीराम ने माना है।।2।।
जब राम नाम तुमने पाया ना नगीने में,
तुम चीर दिए सीना सियाराम थे सीने में,
विस्मित जग ने देखा कभी राम दीवाना है।।3।।
हे अजर अमर स्वामी तुम हो अंतर्यामी,
मैं दीन हीन चंचल अभिमानी मै अज्ञानी,
तुमने जो नजर फेरी मेरा कौन ठिकाना है।।4।।
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जवाब देंहटाएंJai bajrang bali
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