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अमावस्या की शांति क्यो और कैसे

_नमस्कार आप सभी का स्वागत है आज जानते हैं अमावस्या शांति के बारे में_


जन्मकुंडली में चंद्रमा और सूर्य एक साथ में रहते हैं तो अमावस्या योग बनता है अर्थात उस दिन अमावस्या होती है
यदि आपकी कुंडली में यह योग बनता है तो कोई भी ज्योतिषी आपको अमावस्या शांती के लिए कहता है
मित्रों ऐसा क्या है इस योग में की शांति करानी पड़ती है सूर्य आत्मा कारक है पिता का कारक है चंद्रमा मन का कारक है माता का कारक है जब आपस में साथ में रहे तो शांति क्यों करनी पड़ती है क्या आपके माता-पिता साथ में रहे क्या शुभ नहीं लगता??

मन और आत्मा का मिलन क्या शुभ नहीं है?

आइए इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखते हैं विज्ञान कहता है चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह है चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर चक्कर काटता रहता है चंद्रमा को पृथ्वी के एक चक्कर में लगभग 27 दिन लगते है चंद्रमा की चमक सूर्य से हैं सूर्य की किरणें जब चंद्रमा पर पड़ती हैं तो वह चमकता हुआ दिखाई देता है परंतु जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में खुद चंद्रमा आता है तो अमावस्या होती है इस प्रकार से सूर्य से चंद्रमा की दूरी को ही तिथि कहा जाता है इसका अर्थ हुआ कि जब सूर्य के साथ में चंद्रमा बैठता है चंद्रमा अपने खुद का अस्तित्व समाप्त कर लेता है उसका चमकना बंद हो जाता है


ज्योतिष के अनुसार सूर्य पिता का कारक है चंद्र माता का कारक है कोई भी भारतीय नारी अपने पति के सानिध्य में ही कार्य करती है अपने अधिकारों को पति को दे देती है



अमावस्या योग में जातक के मन को बहुत ही प्रभावित माना जाता है मानसिक स्थिति बरोबर नही रहती है

जिसके मानसिक स्थिति बराबर नहीं रहती वह कोई भी कार्य ठीक ढंग से नहीं कर सकता निर्णय शक्ति कमजोर होती हैं मन में एक भय रहता है


अतः इस दोष को दूर करने के लिए चंद्रमा के मंत्रों का जप कम से कम पंचांग अनुसार 11000  विद्वानों के अनुसार कलयुग में 4 गुना ज्यादा जप करना चाहिए इसलिए 44000 जप होने के बाद में दशांश हवन तर्पण मार्जन ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए इसी से अमावस्या की शांति होती है

अमावस्या तिथि के देवता पितृ  हैं इसीलिए लोग पितरों की भी पूजा करते हैं


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पंडित जितेंद्र सोहन लाल शर्मा

धन्यवाद🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

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