सबं काम सफल हो जाते हैं, दुनियों में हरि गुण गाने से।
धुव ने हरि का नाम लिया, प्रभु ने चतुर्भुज दर्श दिया।
इन्कार प्रभु ने नहीं किया, वो अटल राज्य के देने में।
प्रह्माद ने हरि का नाम लिया, प्रभू खम्भ फाड़ के दर्शं दिया,
फिर हिरणाकुश को मार दिया, प्रभु देर नहीं करो आने में ।
कबीरा ने हरि गुण गाया, जिनके घर पर बालद ल्याय।
कर्मा में भोग लगाय दिया, तब लग गये खिचड़ खाने में ।
जो कोई हरि का गूण गाते हैं वो परम धाम को जाते हैं।
भक्तराज छन्द ये गाते है. छूटट जाते आने जाने से।
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