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थे तो लुखग्या कठेजी म्हारा श्याम

 थे तो लुखग्या कठेजी म्हारा श्याम, म्है तो थाने ढूंढ़ थक्या, थे तो छिपग्या कटेजी म्हारा श्याम, म्है तो थाने ढूंढ़ थक्या, ॥ टेर ॥ कोई निगुण, सगुण बतावे निराकार साकार, कोई कहे दोय भुज थारे-२, कोई बतावे भुजा चार ॥ म्है तो थाने ..... ॥

कोई जीव प्रकृति ईश्वर मंह, बरण्या मेद अनेक, कोई कहे जगत सब झूटो-२ सांचो तो ब्रह्म है एक ॥ कोई कहे बैकुण्ठ म थे रहवो रमा निवास, कोई कहे क्षीर सागर मे-२, रहवो जटे ही थारो वास ॥ कोई कहे दशरथ का बेटा, कोई कहे नन्दलाल, कोई कहे म्हारे घर मे तो, छोटो सो लडडू गोपाल ॥ महापुरूष किरपा कर म्हारो, मेटो भ्रम संताप, अब तो सब ही छोड म्हाने दरश दिया छै प्रभु आप ढुंढ़ सक्या,

अब

ही

थाने

थे तो छिपग्या ....॥

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अगर भगवान्की दया चाहते हो तो अपनोसे (v

टोंपर दया करो, तब भगवान् दया करेंगे । दया

चाहते हो, पर करते नहीं यह अन्याय है, अपने ज्ञानका तिरस्कार है ।

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