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आरती जय गणेश जय गणेश aarti ganesh

 

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ।।

एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी माथे पर तिलक सोहे, मूसे की सवारी  x 2 

पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा लड्डुअन का भोग लगे सन्त करे सेवा  x2

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती पिता महादेवा  x2

[अँधे को आँख देत कोढ़िन को काया बाँझ को पुत्र देत निर्धन को माया  x2

 दीनन की लाज रखो शंभु सुतवारी कामना को पूर्ण करो जाऊ बलिहारी 

सूर श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा सर्व कार्य सिद्ध करो श्री गणेश देवा x2




गणपति की सेवा मंगल मेवा, सेवा से सब विघ्न टरें ।

तीन लोक तैतिस देवता, द्वार खड़े सब अर्ज करे ॥ (तीन लोक के सकल देवता, द्वार खड़े नित अर्ज करें ।)

ऋद्धि-सिद्धि दक्षिण वाम विराजे, अरु आनन्द सों चवर करें। धूप दीप और लिए आरती, भक्त खड़े जयकार करें ॥

गुड़ के मोदक भोग लगत है, मुषक वाहन चढ़ा करें। सौम्यरुप सेवा गणपति की, विध्न भागजा दूर परें॥

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