जितना चाहु उतना देना ओ मेरे हनुमान जी, 2
ओ मेरे हनुमानजी बात मेरी मानो जी ,जितना चाहु।।टेर।।
रुपियो का भंडारा भरना ,जब देवो गिनती मत करना 2
बल बुद्धि और विद्या देना तनिक ना हो अभिमान जी।।1।।
श्री राम की भक्ति देना, अवगुण दोष सभी हर लेना 2
नौकर और हवेली देना सुख से जपु तेरा नाम जी ।।2।।
मेवा मिश्री और मलाई मिलकर खाएं लोग लुगाई 2
सोहनसुत को इतना देना ,रहे तुम्हारा ध्यान जी ।।3।।
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